एक नए अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि एक एंटीवायरल दवा जिसका उपयोग COVID-19 के रोगियों के इलाज के लिए किया गया है, हो सकता है कि इससे वायरस में उत्परिवर्तन हुआ हो और इसके नए वेरिएंट तैयार हुए हों। मोलनुपिराविर (Molnupiravir), जिसे लागेवरियो ( Lagevrio) ब्रांड नाम के तहत फार्मेसियों में भी बेचा जाता है, को कोरोनोवायरस को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालांकि शोधकर्ताओं ने इस बात के प्रमाण खोजे हैं कि वायरस उपचार से बच सकता है, जिससे कभी-कभी इसके उत्परिवर्तित संस्करण सामने आते हैं जो कभी-कभी अन्य लोगों में फैल जाते हैं।
फार्मास्युटिकल दिग्गज मर्क की यह एंटीवायरल गोली कमजोर लोगों में कोरोनोवायरस की गंभीरता को नियंत्रित करने के लिए महामारी के बीच शुरू किए गए शुरुआती उपचारों में से एक थी। गोली, जिसे पांच दिनों के कोर्स में दिया जाता है, मुख्य रूप से वायरस में उत्परिवर्तन के निर्माण के माध्यम से काम करती है और इसका लक्ष्य वायरस को कमजोर करना और मारना है।
इंस्टीट्यूट के पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. थियो सैंडरसन ने कहा कि यूके के नेतृत्व वाले एक नए अध्ययन से पता चलता है कि मोलनुपिरवीर ‘महत्वपूर्ण रूप से उत्परिवर्तित वायरस को जन्म दे सकता है जो व्यवहार्य बने रहते हैं।’
हालांकि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो साबित करता हो कि मोलनुपिराविर के कारण कोरोना वायरस के अधिक खतरनाक वेरिएंट बना हो। लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा कि उत्परिवर्तन के कारण वायरस की आनुवंशिक विविधता में वृद्धि हुई और भविष्य के विकास के लिए अधिक विकल्प मिले है। सैंडर्सन, जो फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट, लंदन में एक आनुवंशिकीविद् हैं, ने जोर देकर कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ‘मोलनुपिरवीर ने आज तक अधिक संक्रामक या अधिक विषैले वायरस बनाए हैं।‘ उन्होंने कहा, ‘दुनिया भर में कोई भी वैरिएंट दवा के कारण नहीं फैला था। लेकिन यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि क्या मोल्नुपिरवीर उपचार संभावित रूप से एक नए व्यापक रूप से प्रसारित संस्करण को जन्म दे सकता है, जिसके प्रति लोगों में पहले से प्रतिरक्षा नहीं है।’
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्ष वैज्ञानिकों के लिए मोलनुपिरवीर के साथ-साथ अन्य दवाओं के लाभों और जोखिमों का आकलन जारी रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो विकास के चरण में हैं और एक समान पैटर्न में काम करते हैं।