उत्तराखंड की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम, कैलाश गहतोड़ी, जिन्होंने न केवल अपने राजनीतिक करियर के माध्यम से, बल्कि अपने व्यक्तिगत त्याग के द्वारा भी कई लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई, उनका निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे और अंततः उन्होंने दून अस्पताल में आज सुबह अपनी अंतिम सांस ली।
कैलाश गहतोड़ी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करी थी जब उन्होंने पहली बार 2017 में चंपावत से चुनाव जीता। उनके नेतृत्व में कई स्थानीय और राज्य स्तरीय विकास परियोजनाएं शुरू की गईं, जिसने चंपावत की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार किया। उनके नेतृत्व की विशेषता थी उनका जनता से सीधा संवाद और उनकी समस्याओं के प्रति गहरी संवेदनशीलता।
2022 में, जब पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने, तब कैलाश गहतोड़ी ने उनके लिए अपनी विधायकी की सीट छोड़ दी थी, जिसे एक बड़े राजनीतिक और व्यक्तिगत त्याग के रूप में देखा गया। यह उनके निस्वार्थ और टीम-ओरिएंटेड दृष्टिकोण का प्रमाण था।
उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष के रूप में भी गहतोड़ी जी ने कई महत्वपूर्ण पहलें कीं। उन्होंने वन संरक्षण और सतत विकास की दिशा में कई नीतियाँ और प्रोजेक्ट्स लागू किए, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय जनता के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित हुए।
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उनके निधन पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत अनेक भाजपा नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। उनके योगदान और व्यक्तित्व को याद करते हुए, राजनीतिक समुदाय और आम जनता ने भी अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट की हैं। कैलाश गहतोड़ी का जीवन और करियर उत्तराखंड के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहेगा।