बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के पास पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी करने का विकल्प भी मौजूद है। यदि वह ऐसा करती है तो इससे त्योहारी सीजन के बीच देश के मध्यवर्गीय आम उपभोक्ताओं को बड़ा लाभ पहुंचाया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है। लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार ने सिलेंडर की कीमतों में 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी देने का निर्णय कर आम उपभोक्ताओं को बड़ा लाभ पहुंचाया है। उज्ज्वला योजना की लाभार्थियों को यह लाभ दो गुना होगा यानी उन्हें हर सिलेंडर पर 400 रुपये की छूट मिलेगी।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के पास पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी करने का विकल्प भी मौजूद है। यदि वह ऐसा करती है तो इससे त्योहारी सीजन के बीच देश के मध्यवर्गीय आम उपभोक्ताओं को बड़ा लाभ पहुंचाया जा सकता है। इससे महंगाई के मोर्चे पर भी लड़ने में बड़ी मदद मिल सकती है। बड़ा प्रश्न यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कोई गिरावट न होने के बाद भी सरकार ने गैस कीमतों में बड़ी सब्सिडी देने का विकल्प क्यों अपनाया?
ऊर्जा मामलों के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला से कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में लंबे समय से तेल की कीमतें ऊंची बनी हुई थीं। अंतरराष्ट्रीय कारणों से दबाव में आने के बाद तेल की कीमतों में कमी आई और इस समय यह लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल पर बनी हुई है। लेकिन तेल की कीमतों के कम होने के बाद भी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं घटाए। इससे उन्हें यह लाभ हुआ कि वे अपनी बैलेंस शीट बेहतर कर सकें। तेल कंपनियों की बैलेंस शीट इस समय बेहतर स्थिति में है। यही कारण है कि अब तेल कीमतों को कम करने पर भी विचार किया जा सकता है।
सरकार के पास यह मजबूत विकल्प मौजूद है।सिलेंडर के दाम कम करने से आम उपभोक्ताओं को सस्ती गैस मिलेगी। इसी प्रकार यदि तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करती हैं तो इससे आम उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलेगी।
पेट्रोल-डीजल ऐसी वस्तुएं हैं जिनकी कीमतों का सीधा असर दूसरी वस्तुओं की कीमतों पर होता है। इनकी कीमतों में कमी आने से ट्रकों के जरिए होने वाले माल भाड़े में कमी आती है और वस्तुएं सस्ती होती हैं। यानी यदि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी होती है तो इससे अन्य वस्तुओं की कीमतें भी कम होगी और आम उपभोक्ताओं को लाभ होगा।