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उत्तराखंड में 5 महीने में 13 बाघ बाघिनो की मृत्यु हो चुकी है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी आघात से कम नहीं है सबसे ज्यादा मौतें कुमाऊं के सेंट्रल तराई क्षेत्र में हुई है . मंगलवार को इसी बात पर मीडिया से बात करते हुए सीएम धामी ने कहा कि इस मामले में निश्चित रूप से आकलन किया जाएगा अगर कोई दोषी पाया जाता है. तो इसमें कार्रवाई जरूर की जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अप्रैल में देश में बाघ गणना 2022 के आंकड़े जारी किए थे. उसमें पिछले 4 सालों से बाघों की संख्या 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई गई है देशभर में बाघों की संख्या करीबन 3167 बताई गई है। वर्ष 2018 की गणना के मुताबिक उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक देशभर में इस साल बीते 5 महीने में कुल 76 बाघों की मृत्यु हो गई है। इनमें 12 बाग केवल उत्तराखंड में मरे हैं। बीते 2 जून को भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एक बाघ का शव मिला था ऐसे में अब तक यहां 13 भागों की जान जा चुकी है।

इस साल जनवरी में आया था बाघ की पहली मौत का मामला

उत्तराखंड में इस साल बाघ की पहली मौत का मामला जनवरी में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सामने आया था ।उसके बाद फरवरी में 3 बाघ नैनीताल और रामनगर में मित्र पाए गए। फिर मार्च में 2 बाग चकराता रेंज हल्द्वानी और रामनगर डिवीजन में मारे गए।

अप्रैल में कॉर्बेट की ढेला रेंज में एक बाघ मृत पाया गया मई में 2 बाघ कालागढ़ डिवीजन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मारे गए। जबकि तीन भागों की मौत का आंकड़ा अभी तक वेबसाइट पर जारी नहीं किया गया है ।बाघों की मौत के कारण अलग-अलग है वर्ष 2022 में 12 महीने में 9 बाघों की मौत दर्ज की गई थी।

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