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महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटों के दौरान 12 नवजात शिशुओं समेत कुल 24 मरीजों की मौत का मामला समाने आया है। नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित रूप से दवाओं की कमी के कारण सभी की मौत हुई है। वहीं अस्पताल के डीन ने इसके लिए दवाओं और अस्पताल में कर्मचारियों की कमी को जिम्मेदार माना है।

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के शंकरराव चह्वाण राजकीय मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 24 मरीजों की मौत हो गई। इसके अलावा 70 मरीजों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।अस्पताल सूत्रों के अनुसार मृतकों में 12 नवजात शिशु भी शामिल हैं। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। मरीजों के परिजनों ने भी अस्पताल में हंगामा किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। दवाओं और स्टाफ की कमी को इसकी वजह बताया जा रहा है।

यहां बता दें कि अगस्त में भी महाराष्ट्र के ठाणे के एक अस्पताल में एक ही दिन में 18 मरीजों की मौत हो गई थी। अस्पताल के डीन एस वाकोडे ने मीडियाकर्मियों को बताया कि छह मेल और छह फीमेल शिशुओं की मौत विभिन्न कारणों से हुई।जिन 12 वयस्कों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर केस सांप के काटे जाने के थे। उन्होंने कहा कि कई मरीजों को बेहद नाजुक हालत में यहां लाया गया था। वाकोडे ने बताया कि 70-80 किलोमीटर के दायरे में यह एकमात्र अस्पताल है और यहां दूर-दूर से मरीज आते हैं।

उधर विपक्ष द्वारा सरकारी अस्पतालों में दवा की कमी का आरोप लगाया गया है। बताया जा रहा है कि राज्य के सभी राजकीय अस्पतालों को दवा की आपूर्ति हाफकिन इंस्टीट्यूट द्वारा की जाती है।इंस्टीट्यूट ने धन की कमी के कारण कुछ समय से दवाओं की खरीद बंद कर दी है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में दवाएं नहीं पहुंच पा रही हैं।

घटना की सूचना मिलने के बाद नांदेड़ के ही रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चह्वाण ने कहा है कि 500 मरीजों की क्षमता वाले इस अस्पताल में इस समय 1200 से अधिक मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में डाक्टरों की भारी कमी है। रिक्त हुए स्थानों पर नए डॉक्टर नहीं रखे जा रहे हैं।

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