देहरादून का प्रसिद्ध झंडा मेला हर साल होली के पांचवें दिन से शुरू होता है और हजारों श्रद्धालुओं की आस्था व भक्ति का केंद्र होता है। इस वर्ष यह मेला 19 मार्च 2025 से प्रारंभ हो रहा है। खास बात यह है कि इस बार झंडेजी का आरोहण नए ध्वजदंड के साथ किया जाएगा। मेला प्रबंधन समिति और दरबार साहिब प्रशासन इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं।
झंडा मेला का शुभारंभ और आयोजन
मेले की शुरुआत झंडेजी के पुराने ध्वज को विधिवत उतारने की प्रक्रिया से होती है। इस दौरान श्रद्धालु बड़ी संख्या में दरबार साहिब परिसर में एकत्र होते हैं। झंडेजी के नए ध्वजदंड पर गिलाफ चढ़ाने की रस्म विशेष पूजा के साथ संपन्न होती है। शाम करीब 5 बजे दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज के सान्निध्य में झंडेजी का आरोहण किया जाएगा।
मेले की ऐतिहासिक परंपरा
श्री झंडा मेला श्री गुरु राम राय जी की स्मृति में आयोजित किया जाता है, जो सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय जी के ज्येष्ठ पुत्र थे। श्री गुरु राम राय महाराज ने 17वीं शताब्दी में देहरादून को अपनी तपस्थली बनाया और यहां दरबार साहिब की स्थापना की। उन्होंने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने हेतु विशाल ध्वज स्थापित किया, जो समय के साथ झंडा मेला के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
ध्वजदंड परिवर्तन की परंपरा
झंडा मेले की एक विशेष परंपरा यह भी है कि हर तीन वर्ष में झंडेजी के ध्वजदंड को बदला जाता है। इस वर्ष भी नए ध्वजदंड का निर्माण किया गया है, जिसे दुधली के जंगल से लाया गया और श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, बाम्बे बाग में स्थापित किया गया। पंजाब से आए कारीगर इसे तराशने और तैयार करने में लगे हुए हैं।
झंडा मेला 2025: महत्वपूर्ण तिथियां
08 मार्च – दरबार साहिब के प्रतिनिधि सुबोध उनियाल पंजाब की पैदल संगत के लिए बिहलौलपुर (पंजाब) प्रस्थान करेंगे और वहां हुक्मनामा लेकर बड़गांव (पंजाब) जाएंगे।
10 मार्च – श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज पैदल संगत के स्वागत हेतु अराईयांवाला (हरियाणा) जाएंगे।
11 मार्च – पैदल संगत श्री गुरु राम राय इंटर कॉलेज, सहसपुर पहुंचेगी, जहां भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण होगा।
12 मार्च – संगत कांवली मार्ग से होते हुए दरबार साहिब पहुंचेगी और परंपरागत स्वागत किया जाएगा।
16 मार्च – दरबार साहिब में गिलाफ सिलाई का कार्य संपन्न होगा।
18 मार्च – विभिन्न जिलों से आई संगतों को विदाई दी जाएगी।
19 मार्च –
- सुबह 8 से 9 बजे – पुराने झंडेजी को उतारा जाएगा।
- सुबह 10 बजे – नए झंडेजी पर गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
- दोपहर 1 बजे – सनील गिलाफ चढ़ाया जाएगा।
- शाम 4 से 5 बजे – श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज झंडेजी का आरोहण करेंगे।
20 मार्च – श्रद्धालु दरबार साहिब में झंडेजी पर माथा टेकेंगे और आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
21 मार्च – सुबह 7:30 बजे नगर परिक्रमा शुरू होगी, जिसमें विभिन्न स्थानों पर संगत का स्वागत किया जाएगा।
06 अप्रैल – राम नवमी के दिन मेले का समापन।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध
झंडा मेले में आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं के ठहरने की विशेष व्यवस्था की गई है। SGRR स्कूल, धर्मशालाओं और होटलों में श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, दरबार साहिब परिसर को सजाया जा रहा है और रंग-रोगन का कार्य जारी है।
आइए, झंडा मेले के पावन क्षणों के साक्षी बनें
झंडा मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का पर्व है, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे और आस्था की एक मिसाल भी है। इस ऐतिहासिक अवसर पर शामिल होकर इस आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करें और झंडेजी का आशीर्वाद प्राप्त करें।