उत्तराखंड सरकार राज्य के पलायन प्रभावित गांवों को मॉडल ग्राम में परिवर्तित करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रही है। पहले चरण में 100 गांवों का चयन किया गया है, जहां बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा और स्थानीय स्तर पर आजीविका के अवसर सृजित किए जाएंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पलायन की समस्या को नियंत्रित करना और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देना है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
पलायन रोकने के लिए ठोस कदम
उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत उन गांवों को मॉडल ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां 50 प्रतिशत से अधिक आबादी पलायन कर चुकी है। पहले चरण में ऐसे 100 गांवों को शामिल किया गया है, जिन्हें क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। इस प्रक्रिया की निगरानी पलायन निवारण आयोग करेगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी सरकारी योजनाएं इन गांवों में प्रभावी रूप से लागू हों।
रजत जयंती वर्ष में विशेष ध्यान
उत्तराखंड की स्थापना के 25वें वर्ष में सरकार ने गांवों के विकास पर विशेष ध्यान देने का निश्चय किया है। पलायन की समस्या को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने बजट में इस योजना के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। इस पहल के तहत विभिन्न विभागों की योजनाओं को इन गांवों में लागू किया जाएगा, जिससे गांवों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
478 गांवों पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, राज्य में उन 478 गांवों को चिन्हित किया गया है, जहां 50 प्रतिशत या इससे अधिक पलायन हो चुका है। प्रारंभिक चरण में 100 गांवों के एकीकृत विकास और आजीविका सृजन के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
क्लस्टर मॉडल पर कार्ययोजना
इन 100 गांवों को 10-10 के समूह में विभाजित कर 10 क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। इसके लिए पलायन निवारण आयोग ने अपने सदस्यों को संबंधित जिलों में भेजा है, ताकि वहां की परिस्थितियों का आकलन किया जा सके। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी के अनुसार, इन गांवों को मॉडल गांव के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिसमें पेयजल, बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
स्थानीय रोजगार के अवसरों को बढ़ावा
इस योजना के तहत न केवल बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा, बल्कि आजीविका के साधनों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इन गांवों में कृषि, पर्यटन, हस्तशिल्प, और अन्य स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे ग्रामीणों को अपने ही गांव में रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
पलायन निवारण आयोग की भूमिका
इस पहल में पलायन निवारण आयोग को समन्वयक की भूमिका दी गई है। आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि इन गांवों में सभी योजनाएं प्रभावी रूप से लागू हों और विकास कार्यों में किसी प्रकार की बाधा न आए। इसके अलावा, आयोग यह भी अध्ययन करेगा कि इन गांवों में और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है और इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजे जाएंगे।
द्वितीय चरण में अन्य गांवों को शामिल करने की योजना
प्रारंभिक चरण के 100 गांवों में योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद, अन्य पलायन प्रभावित गांवों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा। सरकार इस परियोजना के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद द्वितीय चरण की रणनीति तय करेगी।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार की यह पहल न केवल पलायन को रोकने में सहायक होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के सतत विकास को भी सुनिश्चित करेगी। इससे राज्य के गांवों को आत्मनिर्भर बनाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने में मदद मिलेगी। यह योजना उत्तराखंड को एक नए विकास मॉडल की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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