तीन माह का वेतन जारी, नियम विरुद्ध नियुक्तियों पर सख्ती

देहरादून। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के नियमित कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन न मिलने की समस्या का समाधान आखिरकार सरकार ने कर दिया है। सरकार ने कर्मचारियों के तीन माह के लंबित वेतन के भुगतान हेतु 9.45 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। इसके अलावा, छात्रवृत्ति भुगतान के लिए भी 5.89 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई है, जिससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता मिल सकेगी।

शासन ने दिए सख्त निर्देश, राशि का दुरुपयोग न हो

आयुष शिक्षा अपर सचिव डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने मंगलवार को आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाओं के निदेशक को इस संबंध में आदेश जारी किए। शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जारी की गई धनराशि का उपयोग केवल वेतन और छात्रवृत्ति के लिए ही किया जाए। किसी अन्य मद में इस राशि का इस्तेमाल करने पर संबंधित कार्मिक के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में वित्तीय व्यय का विवरण प्रशासकीय और वित्त विभाग को अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

नियम विरुद्ध तैनात कार्मिकों से होगी वसूली

शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध तैनात कर्मचारियों से वसूली की जाएगी। यदि यह वसूली संभव नहीं होती है, तो इसके लिए उत्तरदायी अधिकारियों से यह धनराशि वसूल की जाएगी। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

शासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसमें नियम विरुद्ध नियुक्तियों, पद परिवर्तन एवं वित्तीय अनियमितताओं का पूरा विवरण देना होगा। इससे पहले भी शासन द्वारा कई बार ऐसे निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन अब सरकार ने इस मामले में और अधिक सख्ती बरतने का निर्णय लिया है।

चार माह से लंबित था वेतन, कर्मचारियों को मिली राहत

पिछले चार महीनों से वेतन का भुगतान न होने के कारण विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। प्रशासन और शासन के बीच इस मामले को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही थी, जिसकी वजह से वेतन जारी नहीं हो पा रहा था। अब सरकार द्वारा तीन महीने के वेतन की राशि जारी किए जाने से कर्मचारियों को राहत मिलेगी।

संविदा, उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों पर भी होगी जांच

शासन ने संविदा, उपनल और आउटसोर्सिंग के तहत तैनात कर्मचारियों की भी गहन समीक्षा करने का निर्देश दिया है। नियम विरुद्ध रूप से नियमित किए गए कर्मचारियों एवं पद परिवर्तन से जुड़े मामलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस संबंध में विश्वविद्यालय को 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी

आदेशों का पालन हुआ तो ही मिलेगी अगली किस्त

शासन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो अगली वित्तीय किस्त जारी नहीं की जाएगी। इससे साफ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को पूरी पारदर्शिता के साथ वित्तीय प्रक्रियाओं का संचालन करना होगा।

सरकार के इस निर्णय से विश्वविद्यालय के नियमित कर्मचारियों और छात्रवृत्ति के लाभार्थी विद्यार्थियों को काफी राहत मिली है, लेकिन शासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

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