उत्तराखंड में खाद्यान्न और उर्वरकों के भंडारण को बढ़ावा देने के लिए राज्य भण्डारण निगम द्वारा पांच जिलों में 40 हजार मीट्रिक टन क्षमता के अत्याधुनिक वेयरहाउस बनाए जाएंगे। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस संबंध में अधिकारियों को भूमि चयन कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
भंडारण क्षमता विस्तार की दिशा में बड़ा कदम
प्रदेश में भंडारण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सहकारिता विभाग की एक वर्चुअल बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में मंत्री धन सिंह रावत ने अधिकारियों को प्रदेशभर में भंडारण क्षमता को बढ़ाने और इसे बाजार की मांग के अनुसार विकसित करने के निर्देश दिए। इससे बड़े पैमाने पर खाद्यान्न और उर्वरकों का भंडारण किया जा सकेगा, जिससे किसानों को भी लाभ मिलेगा।
किन जिलों में बनेंगे गोदाम?
पांच जिलों में बनने वाले इन वेयरहाउसों की कुल क्षमता 40 हजार मीट्रिक टन होगी, जिनमें आधुनिक सुविधाएं होंगी। जिलावार भंडारण क्षमता इस प्रकार निर्धारित की गई है:
- पौड़ी और टिहरी: 5-5 हजार मीट्रिक टन
- हरिद्वार, देहरादून और उधमसिंह नगर: 10-10 हजार मीट्रिक टन
इन गोदामों के निर्माण के लिए लगभग 22 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। मंत्री ने संबंधित जिलाधिकारियों को भूमि चयन की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य भंडारण निगम की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम के तहत 1,31,550 मीट्रिक टन क्षमता की भंडारण सुविधा उपलब्ध है, जिसमें से केवल 1,19,634 मीट्रिक टन ही उपयोग में आ रही है। ऐसे में भंडारण क्षमता विस्तार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि भविष्य में किसानों और अन्य हितधारकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
भविष्य की योजनाएं: पर्वतीय क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज भी बनेंगे
मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि भविष्य में निगम द्वारा पर्वतीय जिलों में कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए जाएंगे, जिससे किसान अपने उत्पादों को सुरक्षित रख सकें। इसके अलावा, सेना और आईटीबीपी के लिए भी कोल्ड स्टोरेज खोलने की योजना बनाई जा रही है।
राज्य में पहले से मौजूद भंडार गृह
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम के भंडार गृह निम्नलिखित स्थानों पर स्थित हैं:
- रुद्रपुर, गदरपुर, गूलरभोज, काशीपुर, रामनगर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, हरिद्वार, विकासनगर और नकरौंदा।
इन प्रयासों से प्रदेश में भंडारण क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और कृषि व खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती मिलेगी।