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देहरादून: पिथौरागढ़ के मिरथी स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की 7वीं बटालियन में करोड़ों रुपये के घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। घोटाला 2017 से 2021 के बीच का बताया जा रहा है, जिसमें तत्कालीन आईटीबीपी अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितताओं और सरकारी धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं।

सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में छह आईटीबीपी अधिकारी, एक ठेकेदार, और कुछ अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में कमांडेंट से लेकर डिप्टी कमांडेंट तक के अधिकारियों के नाम शामिल हैं। घोटाले की कुल रकम करीब 2 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें जनरेटर और पत्थर ढुलाई में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।


जनरेटर ढुलाई में करोड़ों की हेराफेरी

घोटाले में सबसे बड़ा मामला भारी जनरेटरों की ढुलाई से जुड़ा है। आईटीबीपी की पोस्टों तक 10 KVA और 5 KVA के भारी-भरकम जनरेटरों को पहुंचाना था, जिसे ठेकेदार के निजी परिवहन माध्यम से भेजा गया। लेकिन अधिकारियों ने सरकारी दस्तावेजों में इसे पोर्टर्स (सामान ढोने वाले मजदूरों) के जरिए ले जाना दर्शाया।

आंकड़ों में हेरफेर की कहानी:

  • 10 KVA के 10 जनरेटर, प्रत्येक का वजन 770 किलोग्राम था।
  • 5 KVA के 2 जनरेटर, प्रत्येक का वजन 665 किलोग्राम था।
  • इन भारी जनरेटरों को दुर्गम पहाड़ी इलाकों में मजदूरों द्वारा ले जाने की बात दर्शाई गई, जो असंभव प्रतीत होता है।
  • इस फर्जीवाड़े के कारण सरकार को 11,29,858 रुपये (करीब 11.30 लाख) का नुकसान हुआ।

पत्थर ढुलाई में भी बड़ा घोटाला

भारत-चीन सीमा पर वर्ष 2020-21 में गलवान विवाद के बाद नए सैन्य मोर्चों के निर्माण और पुराने बंकरों की मरम्मत का कार्य किया गया। इसके तहत पत्थरों की ढुलाई भी शामिल थी। लेकिन जांच में सामने आया कि पत्थर पास के इलाकों से ही जुटाए गए, जबकि सरकारी दस्तावेजों में इन्हें दूर से मंगवाने का दावा किया गया।

कैसे हुआ नुकसान?

  • कुल 380 मोर्चों का निर्माण होना था।
  • पत्थर ढुलाई के लिए ठेकेदार को 18.75 लाख रुपये का भुगतान होना चाहिए था।
  • लेकिन अधिकारियों ने ठेकेदार को 28.10 लाख रुपये का भुगतान कर दिया।
  • इस तरह सरकारी खजाने को 9.35 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।

ठेकेदार को अनुचित लाभ देने का आरोप

जांच में यह भी सामने आया है कि एक खास ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। इस ठेकेदार को ठेका दिलाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर, फर्जी कागजात तैयार करना, और सरकारी नियमों की अनदेखी जैसी गंभीर अनियमितताएं की गईं।

इस गड़बड़ी में कमांडेंट सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी संलिप्त पाए गए हैं, जिन्होंने मिलकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया और ठेकेदार को अनुचित लाभ दिलाने का प्रयास किया।


गृह मंत्रालय से मिली जांच की हरी झंडी, सीबीआई ने तेज की कार्रवाई

आईटीबीपी ने इस पूरे घोटाले की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी थी और सीबीआई जांच की अनुमति मांगी थी। गृह मंत्रालय ने मामले को बेहद गंभीर और संवेदनशील मानते हुए इसकी तत्काल जांच के आदेश दिए।

सीबीआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज कर जांच तेज कर दी है। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं, और ठेकेदार सहित अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।


क्या होगा आगे?

  • सीबीआई घोटाले में शामिल अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका की गहराई से जांच कर रही है।
  • वित्तीय रिकॉर्ड, टेंडर प्रक्रिया, और भुगतान से जुड़े दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है।
  • दोषी पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन, बर्खास्तगी और आपराधिक मुकदमे शामिल हो सकते हैं।

यह मामला भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के भीतर भ्रष्टाचार के एक बड़े नेटवर्क को उजागर करता है। सुरक्षा बलों में वित्तीय गड़बड़ियों का यह मामला बेहद गंभीर है और इसमें शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होने की संभावना है। अब सबकी निगाहें सीबीआई की जांच और आगे की कानूनी कार्यवाही पर टिकी हैं।

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