बिना सहमति धर्म परिवर्तन पर तलाक और गुजारा भत्ता का अधिकार
उत्तराखंड में यदि कोई व्यक्ति बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है, तो उसका जीवनसाथी उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार रखेगा। साथ ही, विवाह और अन्य संबंधित सेवाओं का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
पंजीकरण न कराने पर सजा और जुर्माना
यदि विवाह या अन्य सेवाओं का पंजीकरण अनिवार्य रूप से नहीं कराया गया, तो संबंधित व्यक्ति को छह माह की कैद, 25,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
कैबिनेट ने यूसीसी नियमावली को दी मंजूरी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली को मंजूरी दी गई। 2022 में सरकार द्वारा जनता से किया गया वादा अब जल्द ही पूरा होने जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जो यूसीसी लागू करेगा।
यूसीसी लागू करने की प्रक्रिया में मॉक ड्रिल
21 जनवरी को प्रदेशभर में वेब पोर्टल का उपयोग करते हुए मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस मॉक ड्रिल में रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार, और अन्य अधिकारी यूसीसी पोर्टल पर लॉगिन कर विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशन, और वसीयत जैसी सेवाओं का पंजीकरण करने का अभ्यास करेंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यूसीसी लागू होने के बाद आम जनता को किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या का सामना न करना पड़े।
घोषणा से कानून बनने तक का सफर
- 12 फरवरी 2022: विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी लागू करने की घोषणा की।
- मई 2022: सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन हुआ।
- 02 फरवरी 2024: विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
- 07 फरवरी 2024: विधानसभा में यूसीसी विधेयक पारित हुआ।
- 11 मार्च 2024: राष्ट्रपति ने विधेयक को मंजूरी दी।
- 20 जनवरी 2025: कैबिनेट ने नियमावली को मंजूरी दी।
यूसीसी लागू होने के बाद ये होंगे प्रमुख बदलाव
1. विवाह, तलाक और विरासत के लिए एक समान कानून
सभी धर्मों और समुदायों के लिए विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, और संपत्ति विरासत के लिए एक समान कानून लागू होगा।
2. पंजीकरण अनिवार्य
26 मार्च 2010 के बाद सभी दंपतियों के लिए विवाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य होगा। ग्राम पंचायत से लेकर महानगर पालिका तक पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी।
3. विवाह के लिए न्यूनतम आयु
विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होगी।
4. महिलाओं के अधिकारों में सुधार
महिलाएं पुरुषों के समान अधिकारों और कारणों के आधार पर तलाक ले सकेंगी। हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जाएगा।
5. धर्म परिवर्तन के मामले
बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करने पर जीवनसाथी को तलाक और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
6. दूसरी शादी पर प्रतिबंध
पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरा विवाह करना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
7. बच्चों की कस्टडी
तलाक या घरेलू विवाद के मामलों में पांच वर्ष तक के बच्चों की कस्टडी मां को दी जाएगी।
8. संपत्ति में समान अधिकार
बेटे और बेटी को संपत्ति में बराबर अधिकार मिलेगा। जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा।
9. लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य
लिव-इन में रहने वाले युगलों को वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। लिव-इन में जन्मे बच्चों को जैविक संतान के समान अधिकार दिए जाएंगे।
10. वसीयत और संपत्ति अधिकार
कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी को भी वसीयत कर सकता है।
11. पंजीकरण न कराने पर दंड
पंजीकरण न कराने पर छह माह की कैद या 25,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
यूसीसी से जुड़े अन्य प्रावधान
- तलाक और विवाह का पंजीकरण न कराने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाएगा।
- गोद लिए गए बच्चों, सरोगेसी, और एआरटी (असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी) से जन्मे बच्चों को जैविक संतान माना जाएगा।
- गर्भ में पल रहे बच्चे का संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेगा।
- लिव-इन युगलों के लिए संबंध विच्छेद का पंजीकरण भी अनिवार्य होगा।
उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। जल्द ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
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