नैनीताल हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले के कांडा तहसील के कई गांवों में खड़िया खनन के कारण मकानों में आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने खनन पर रोक जारी रखते हुए 160 खनन पट्टाधारकों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने इस क्षेत्र में अवैध खनन से ग्रामीणों को हुए नुकसान को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ग्रामीणों को दिया जाने वाला मुआवजा अवैध खनन करने वालों से वसूला जाना चाहिए, न कि सरकार के खजाने से।
अवैध खनन पर कार्रवाई, 124 मशीनें सीज
सुनवाई के दौरान वर्चुअली पेश हुए बागेश्वर के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर अवैध खनन में लगी 124 पोकलैंड और जेसीबी मशीनों को जब्त कर लिया गया है। कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में ग्रामीणों ने दावा किया कि उन्होंने खनन पट्टाधारकों को एनओसी नहीं दी थी, लेकिन फर्जी तरीके से उनकी सहमति दिखाकर खनन कार्य शुरू किया गया।
अधिकारियों पर कड़ी फटकार
हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और खनन व उद्योग विभाग के अधिकारियों को फर्जी एनओसी और अवैध खनन के मामले में जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने इन अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी 2025 की तारीख तय की है।
ग्रामीणों की शिकायतें दर्ज
कोर्ट कमिश्नर ने क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा दाखिल किए गए दस्तावेज और शिकायत पत्र भी कोर्ट में प्रस्तुत किए। ग्रामीणों ने दावा किया कि खनन के कारण उनके घरों में दरारें आई हैं और उनका जीवन खतरे में है।
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि अवैध खनन से जुड़े हर व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया जाएगा और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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