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बागेश्वर जिले में खड़िया खनन के कारण पहाड़ियों में दरारें और संभावित हादसों को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने खनन में अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन को गंभीर मानते हुए सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बागेश्वर के जिला खान अधिकारी को निलंबित कर दिया और उनकी जगह नए खनन अधिकारी की नियुक्ति की। खनन गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी कर दी है।

सभी खनन मशीनें सीज करने के आदेश

कोर्ट ने खनन में उपयोग की जा रही सभी मशीनों को सीज करने और उसकी रिपोर्ट शुक्रवार तक पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले में पूर्व में कोर्ट कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया था कि खड़िया खनन में नियमों का उल्लंघन किया गया है। खननकर्ताओं ने वनभूमि और सरकारी जमीन पर भी अवैध खनन किया है, जिससे पहाड़ियों में दरारें आ गई हैं और बड़े हादसे की आशंका है।

अधिकारियों को कोर्ट में पेश होने के निर्देश

हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम बागेश्वर, खनन निदेशक, और सचिव औद्योगिक को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। कोर्ट ने खनन में हुई अनियमितताओं को रोकने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को टालने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

सरकार की तत्परता

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने तुरंत हरकत में आते हुए कार्रवाई शुरू कर दी। गुरुवार शाम को जिला खान अधिकारी को सस्पेंड कर उनकी जगह नए अधिकारी की तैनाती कर दी गई। इसके साथ ही खनन के लिए नई एसओपी लागू कर दी गई है।

इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी, जिसमें सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी।

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