Demo

देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में खुले बाजार से 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने का निर्णय लिया है। यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर नए सवाल खड़े कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कर्ज केवल तभी उचित है जब राज्य की आर्थिक क्षमता इसे चुकाने में सक्षम हो। हालांकि, वर्तमान परिस्थितियों में राज्य की आय के स्रोतों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है, जिससे यह चिंता और गहरी हो गई है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक लिया 3400 करोड़ का कर्ज

राज्य सरकार द्वारा यह नया कर्ज 2024-25 वित्तीय वर्ष में लिया जाने वाला पहला कर्ज नहीं है। इस वित्तीय वर्ष में अब तक उत्तराखंड सरकार 3400 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। 1000 करोड़ रुपये के इस नए कर्ज के बाद यह आंकड़ा 4400 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

रिजर्व बैंक के जरिए खुले बाजार से उठाया जाएगा कर्ज

उत्तराखंड सरकार यह कर्ज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से खुले बाजार से उठाएगी। वित्त विभाग ने 2 जनवरी 2025 को एक नोटिस जारी कर विभिन्न संस्थाओं से बिड के जरिए आवेदन मांगे। आर्थिक विशेषज्ञ राजेंद्र बिष्ट के अनुसार, यह कर्ज 7 साल की अवधि के लिए लिया जाएगा, जिसे 2032 तक चुकाया जाएगा। ब्याज का भुगतान हर तिमाही या 6 महीने में किया जाएगा।

मार्च 2021 तक 57 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बकाया

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2021 तक उत्तराखंड पर 57,114.64 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। अब यह 60,000 करोड़ रुपये के पार जा चुका है। सरकार ने यह नया कर्ज ऊर्जा, कृषि, सिंचाई और उद्योग से जुड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए उठाने का निर्णय लिया है।

आर्थिक विश्लेषकों और विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि राज्य की आय से अधिक खर्च करना और अपने आर्थिक संसाधनों को बढ़ाने में विफल रहना, उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या बन चुका है। वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का कहना है,
“उत्तराखंड का सालाना बजट का 70% से अधिक हिस्सा गैर-योजनागत खर्चों में चला जाता है। केंद्र पर अत्यधिक निर्भरता और बजट कटौती की स्थिति में राज्य की विकास योजनाएं बाधित हो जाती हैं।”

वित्त सचिव और मुख्य सचिव का पक्ष

वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा,
“राज्य ने कर्ज तय मानकों के तहत लिया है। यह राशि विकास योजनाओं को गति देने के लिए आवश्यक है।”
वहीं, अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद वर्धन ने कहा कि केंद्र से बजट मिलने में देरी होने पर राज्य सरकार को खुले बाजार से कर्ज लेना पड़ता है।

क्या कर्ज का बोझ बनेगा आर्थिक संकट का कारण?

राज्य की अर्थव्यवस्था पर बढ़ते कर्ज का दबाव चिंता का विषय बनता जा रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य ने अपनी आय बढ़ाने के उपाय नहीं किए, तो यह स्थिति आने वाले समय में गंभीर संकट का रूप ले सकती है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड सरकार का यह कदम एक ओर विकास योजनाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक हो सकता है, लेकिन दूसरी ओर राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। कर्ज का यह बढ़ता बोझ राज्य की वित्तीय स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

यह भी पढें- उत्तराखंड में अवैध मदरसों पर कसा शिकंजा: धामी सरकार का बड़ा अभियान, 190 अवैध मदरसों का हुआ भांडाफोड़

Share.
Leave A Reply