श्रीनगर के बेस चिकित्सालय में शुक्रवार का दिन उम्मीदों और उपलब्धियों से भरा रहा। लंबे इंतजार के बाद अस्पताल में डायलिसिस यूनिट ने काम करना शुरू कर दिया। चार महीने की मेहनत और तैयारी के बाद, डायलिसिस यूनिट ने दो मरीजों का सफल उपचार किया।
पहला सफल डायलिसिस
पहले ही दिन, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की नई डायलिसिस टीम और दून अस्पताल से आई विशेषज्ञ टीम ने मिलकर 84 वर्षीय गोकुल सिंह और 70 वर्षीय सतेश्वरी देवी का सफल डायलिसिस किया। दोनों मरीज उपचार के बाद स्वस्थ महसूस कर घर लौट गए।
डॉक्टरों और मरीजों की खुशी
डायलिसिस प्रक्रिया के सफल होने पर डॉक्टरों और मरीजों ने खुशी जताई। मरीजों ने कहा कि अब उन्हें अन्य शहरों में इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा। डायलिसिस टीम को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी शुभकामनाएं दीं।
चार महीने की मेहनत का नतीजा
डायलिसिस यूनिट के सफल संचालन का श्रेय श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत, दून अस्पताल के डायलिसिस यूनिट हेड डॉ. हरीश बसेरा, और चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. महेंद्र कुमार पंत को जाता है। उन्होंने बताया कि डायलिसिस यूनिट को संचालन में लाने के लिए चार महीने से लगातार प्रयास किए जा रहे थे।
टीम वर्क का महत्व
डॉ. महेंद्र कुमार पंत ने कहा कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए टीम का मजबूत और समन्वित होना आवश्यक है। नई डायलिसिस टीम ने यह साबित कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में बेहतर संचालन के लिए एक और टीम तैयार की जाए।
मरीजों की सुविधा में सुधार
सतेश्वरी देवी और गोकुल सिंह ने डायलिसिस के बाद डॉक्टरों और स्टाफ का आभार व्यक्त किया। मरीजों और उनके परिजनों ने कहा कि इस सुविधा के शुरू होने से उन्हें अब अन्य शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भविष्य की योजना
डॉ. सीएमएस रावत ने बताया कि डायलिसिस यूनिट का संचालन एसओपी के तहत किया जाएगा। लगातार मॉनिटरिंग और आपसी समन्वय से मरीजों को उच्चस्तरीय सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
श्रीनगर बेस चिकित्सालय में डायलिसिस यूनिट की शुरुआत से न केवल स्थानीय मरीजों को राहत मिली है, बल्कि यह चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि भी है।
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