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नई दिल्ली स्थित नवनिर्मित उत्तराखंड निवास अब सिर्फ नेताओं और अधिकारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आम नागरिक भी इसकी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संदर्भ में पूर्व में जारी शासनादेश को संशोधित करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने मीडिया में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लेते हुए कहा कि उत्तराखंड निवास को आम जनता के लिए भी सुलभ बनाया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वहां कक्ष आरक्षण की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जिससे उत्तराखंड के आम नागरिक भी उपलब्धता के आधार पर वहां ठहर सकें। इसके साथ ही सीएम ने निवास में ठहरने की दरों को पुनर्निर्धारित करने के भी निर्देश दिए।

पूर्व में शासनादेश था केवल विशिष्ट लोगों के लिए

पहले जारी शासनादेश के अनुसार, उत्तराखंड निवास में केवल राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ठहरने की अनुमति थी। आम नागरिकों और अपर सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी।

अब आम जनता को भी मिलेगा लाभ

सीएम धामी के निर्देशानुसार, शासनादेश में संशोधन कर इसे आम नागरिकों के लिए भी खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब उत्तराखंड निवास में कक्ष आरक्षण की प्राथमिकता उपलब्धता के आधार पर तय की जाएगी। इसके अलावा, उत्तराखंड शासन और सरकारी विभागों की बैठकें यहां निशुल्क आयोजित की जा सकेंगी। निगमों और समितियों को प्रति कार्यक्रम 15,000 रुपये और अन्य को 35,000 रुपये प्रति कार्यक्रम की दर से शुल्क देना होगा।

सीएम का स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड निवास का उद्देश्य राज्य के नागरिकों और अधिकारियों की सुविधा सुनिश्चित करना है। यह केवल विशिष्ट लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। शासनादेश में संशोधन के बाद अब उत्तराखंड के आम नागरिक भी इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

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