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उत्तराखंड में पंचायत चुनावों के लिए दो बच्चों की शर्त में बदलाव होने जा रहा है। अब यदि किसी व्यक्ति की पहली जीवित संतान के बाद दूसरी संतान जुड़वां होती है, तो उसे एक इकाई माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि जुड़वा बच्चों की संख्या तीन होने पर भी वह व्यक्ति पंचायत चुनाव में भाग ले सकेगा। इसके लिए पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, पंचायतीराज निदेशालय ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है, जिस पर विचार-विमर्श जारी है।

पंचायतीराज अधिनियम में यह प्रावधान है कि 27 सितंबर 2019 के बाद जिनके दो से अधिक संतानें होंगी, वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। हालांकि, इस कट-ऑफ डेट से पहले जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इस बीच, जुड़वां बच्चों को एक इकाई मानने के संबंध में मामला अदालत में भी गया था। अदालत के आदेश के बाद शासन ने आदेश जारी किया था, लेकिन इसमें 25 जुलाई 2019 की कट-ऑफ डेट अंकित थी, जिससे गफलत की स्थिति उत्पन्न हो रही थी।

राज्य निर्वाचन आयोग ने भी इस मुद्दे पर शासन से स्पष्टता मांगी है। सूत्रों के अनुसार, जुड़वां बच्चों को एक इकाई मानने और कट-ऑफ डेट को लेकर पंचायतीराज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर शासन विचार कर रहा है, और यह प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।

इसके अलावा, उत्तराखंड में नगर पालिका एक्ट में तीन बच्चों वाले प्रत्याशियों को अयोग्य ठहराने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर भी हाई कोर्ट ने सुनवाई की है। याचिकाकर्ता ने 2003 में नगर पालिका एक्ट में किए गए संशोधन को चुनौती दी है, जिसके तहत तीन बच्चों वाले व्यक्ति को पालिका चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जाता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह प्रावधान पंचायत चुनावों के मुकाबले भेदभावपूर्ण है, क्योंकि पंचायत चुनावों में 2019 से पहले तीन बच्चों वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ सकते थे।

कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए शहरी विकास सचिव और निदेशक को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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