देहरादून। प्रदेश की सहकारी समितियों के आगामी 16 और 17 दिसंबर को प्रस्तावित चुनाव एक बार फिर से स्थगित हो गए हैं। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण ने चुनाव कार्यक्रम जारी किया था, लेकिन शासन स्तर पर जरूरी नियम बदलाव और महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के मसले के कारण चुनाव टल गए हैं। अब चुनाव की नई तिथियों के लिए समय-सारिणी तैयार की जाएगी।
चुनाव प्रक्रिया में देरी की मुख्य वजहें
- नियमों में बदलाव पर निर्णय लंबित:
सहकारी समितियों में पिछले तीन वर्षों से किसी प्रकार का लेनदेन न करने वाले सदस्यों को मतदान का अधिकार देने के लिए नियम 12(ख) में छूट का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। - महिलाओं के आरक्षण पर कानूनी विवाद:
सहकारी समितियों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला फिलहाल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसकी सुनवाई सोमवार को होनी है।
33 हजार महिलाएं मताधिकार से हो सकती हैं वंचित
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे के अनुसार, यदि समितियों से लेनदेन न करने वाले सदस्यों को मतदान का अधिकार देने का प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ, तो 33 हजार महिलाएं और 78 हजार पुरुष मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
चुनावों में लगातार हो रही देरी
पहले नवंबर में चुनाव की योजना थी, जिसे दिसंबर तक टाल दिया गया। अब इस माह भी चुनाव न हो पाने के कारण प्रक्रिया को दोबारा प्रारंभ करने की तैयारी होगी। पहले चरण में समितियों के प्रतिनिधियों का चुनाव, और इसके बाद जिला एवं राज्य स्तर पर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की योजना थी।
क्या होगा आगे का कदम?
प्राधिकरण को शासन से नई समय-सारिणी जारी करने की अनुमति मिल गई है। हाईकोर्ट के निर्णय और शासन स्तर से प्रस्तावित बदलावों पर अंतिम फैसला आने के बाद ही चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
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