गढ़ी कैंट छावनी परिषद को राजभवन, मुख्यमंत्री आवास और अन्य प्रमुख सरकारी भवनों से करोड़ों का बकाया भवन कर नहीं मिल पा रहा है। बार-बार नोटिस और पत्राचार के बावजूद संबंधित विभागों ने कर भुगतान नहीं किया। इस वजह से बोर्ड को स्टाफ और पेंशनर्स को वेतन-भत्ते देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, बजट की कमी के कारण विकास कार्य भी ठप हो गए हैं।
मुख्यमंत्री आवास पर 85 लाख और राजभवन पर 10 लाख का बकाया
गढ़ी कैंट क्षेत्र में स्थित मुख्यमंत्री आवास का कर 2009 से बकाया है, जो अब 85 लाख रुपये से अधिक हो गया है। वहीं, राजभवन पर करीब 23 लाख रुपये का कर था, जिसमें से 13 लाख रुपये जमा किए जा चुके हैं, लेकिन अभी भी 10 लाख रुपये बकाया हैं।
बीजापुर गेस्ट हाउस और एफआरआई पर भारी बकाया
बीजापुर गेस्ट हाउस पर भी 20 लाख रुपये से ज्यादा का कर बकाया है। बताया गया है कि इसके निर्माण के बाद से अब तक केवल एक बार पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया। एफआरआई (वन अनुसंधान संस्थान) पर करोड़ों का कर बकाया था। विभाग के तीन हिस्सों में विभाजन के बाद, कैंट बोर्ड ने 2.63 करोड़ का बिल एफआरआई को और दो करोड़ रुपये का बिल अन्य संस्थानों (सेंटर एकेडमी फॉर स्टेट फॉरेस्ट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी) को भेजा है।
संयुक्त चिकित्सालय और सिंचाई विभाग की संपत्तियों पर भी बकाया
प्रेमनगर स्थित संयुक्त चिकित्सालय, जो स्वास्थ्य विभाग के अधीन है, पर 58 लाख रुपये का कर बकाया है। कई बार सीएमओ देहरादून को पत्र भेजा गया, लेकिन अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ। इसके अलावा, गढ़ी कैंट क्षेत्र में सिंचाई विभाग की एक पानी की चक्की पर दो लाख रुपये का कर बकाया है।
विकास कार्य ठप, चुनाव भी दो साल से लंबित
बकाया कर न मिलने से छावनी बोर्ड के विकास कार्य ठप हो गए हैं। कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए धन की कमी हो गई है। इसके साथ ही, दो साल से छावनी क्षेत्र में चुनाव भी नहीं हो सके हैं।
छावनी परिषद ने बार-बार संबंधित विभागों को पत्र भेजकर बकाया कर जमा करने का अनुरोध किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इससे कैंट बोर्ड की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।