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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चल रही प्रादेशिक सेना की भर्ती ने प्रशासन और परिवहन व्यवस्था की पोल खोल दी। भर्ती में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से हजारों की संख्या में युवा पहुंचे, लेकिन खराब व्यवस्थाओं और भारी भीड़ के चलते हालात बेकाबू हो गए।

बुधवार को करीब 20,000 से अधिक युवाओं ने गेट तोड़कर भर्ती स्थल में घुसने का प्रयास किया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भगदड़ मच गई। भगदड़ में दो युवक घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल युवराज (17), निवासी मेहताबनगर, बुलंदशहर को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया, जबकि दूसरे घायल मनीष के सिर में टांके लगाकर छुट्टी दे दी गई। भगदड़ के दौरान भर्ती स्थल पर जूते, फटे बैग और अन्य सामान बिखरे नजर आए।

यात्रा की मुश्किलें और प्रशासन की चुनौती
कुमाऊं के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में हो रही इस भर्ती ने क्षेत्र की परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया। हल्द्वानी से लेकर पिथौरागढ़ तक की यात्रा युवाओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रही। 250 किलोमीटर की इस यात्रा के दौरान युवाओं को बसें, ट्रक और टैक्सियों में सफर करना पड़ा। कई जगह तो युवाओं ने मजबूरी में ट्रकों और अन्य वाहनों में लटककर सफर किया, जिससे उनकी जान भी जोखिम में पड़ गई।

शहर में जनजीवन प्रभावित, स्कूल बंद
बढ़ती भीड़ और अव्यवस्थित हालात के चलते पिथौरागढ़ में जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ। जिले में यात्री बसों में सीट मिलना मुश्किल हो गया। वहीं, स्थानीय प्रशासन को स्कूलों में तीन दिन का अवकाश घोषित करना पड़ा।

प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने भीड़ को नियंत्रित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में एड़ी-चोटी का जोर लगाया, लेकिन युवाओं के जोश और भीड़ के सामने उनकी सारी कोशिशें नाकाफी साबित हुईं।

युवाओं की नाराजगी, प्रशासन पर सवाल
युवाओं का कहना है कि इतनी बड़ी भर्ती प्रक्रिया के बावजूद प्रशासन ने यातायात और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर कोई ठोस तैयारी नहीं की। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल युवाओं को मुश्किल में डाला, बल्कि प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर कर दिया।

पिथौरागढ़ में भर्ती प्रक्रिया जारी है, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते इसे संभालना प्रशासन और सेना के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

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