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नैनीताल जिले में 49,909 हेक्टेयर कृषि भूमि पर 48,735 किसान खेती कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। ये किसान गेहूं, धान, मडुआ, गन्ना, मक्का, दाल, मशरूम, तेजपात, आलू, सेब, टमाटर, पालक, मेथी, और मिर्च जैसी फसलों का उत्पादन करते हैं। लेकिन हाल ही में राजकीय प्रजनन उद्यान भीमताल के आउटलेट से नकली बीज वितरित किए जाने का मामला सामने आने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। प्रशासन की सख्ती के बाद गुरुवार को कमिश्नर दीपक रावत ने भीमताल में छापेमारी कर इस गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया और दोषियों पर शिकंजा कसा। हालांकि, अब तक कितने किसानों को नुकसान पहुंचा है, इसकी गहन जांच की आवश्यकता है।

नकली बीज का खेल: खाद्य पदार्थों से आगे बढ़ा फसलों तक

अब तक मिठाइयों और मसालों में मिलावट के मामले सामने आते थे, लेकिन नकली बीज की आपूर्ति का यह मामला किसानों की आजीविका पर गहरी चोट कर रहा है। भीमताल और आसपास के ब्लॉकों—जैसे कोटाबाग, ओखलकांडा, धारी, रामगढ़, हल्द्वानी और बेतालघाट—के किसान नकली और घटिया बीज मिलने से परेशान हैं। आशंका है कि यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था, और किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत गुणवत्तापूर्ण बीज के नाम पर ठगा जा रहा था।

यूपी के फर्जी बारकोड से खुला मामला

भीमताल के एक किसान ने मटर और सरसों के बीज राजकीय प्रजनन उद्यान के आउटलेट से खरीदे थे, लेकिन पैकेट पर लगे बारकोड को स्कैन करने पर कोई जानकारी नहीं मिली। बारकोड पर यूपी का पता दिया गया था, जिससे किसान को शक हुआ। अपने एक रिश्तेदार, जो कृषि विभाग में अधिकारी हैं, की मदद से बारकोड की जांच की गई और इसे फर्जी पाया गया। किसान ने इस धोखाधड़ी की शिकायत कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से की, जिन्होंने तुरंत कार्रवाई की

छापेमारी में पकड़ा गया घोटाला

गुरुवार देर शाम कमिश्नर दीपक रावत ने भीमताल स्थित राजकीय प्रजनन उद्यान के आउटलेट पर छापा मारा। यहां उच्च गुणवत्ता के बीजों को दूसरे राज्यों में कालाबाजारी के लिए भेजा जा रहा था, जबकि पहाड़ के किसानों को नकली और घटिया बीज उपलब्ध कराए जा रहे थे। छापेमारी के बाद इस आउटलेट को सील कर दिया गया।

किसानों पर पड़े प्रभाव की जांच जरूरी

इस घोटाले से कितने किसानों की फसलें प्रभावित हुईं और उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा, इसका आंकलन अभी बाकी है। नकली बीजों के कारण किसानों की मेहनत और संसाधनों पर पानी फिर गया है। प्रशासन की छापेमारी से दोषियों पर शिकंजा कसने की शुरुआत तो हो गई है, लेकिन इस पूरे मामले की विस्तृत जांच कर प्रभावित किसानों को न्याय दिलाना जरूरी है।

भीमताल के इस नकली बीज घोटाले ने कृषि व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। किसानों की मेहनत और उम्मीदों से खिलवाड़ करने वाले इस गोरखधंधे पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है। अब देखना होगा कि प्रशासन आगे क्या कदम उठाएगा और प्रभावित किसानों को राहत कैसे दी जाएगी।

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