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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का रास्ता साफ हो चुका है। विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी नियमावली का अंतिम मसौदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी लागू करने का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान न्याय और समान अवसर प्रदान करना है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के स्थान पर एक समान कानून लागू होगा, जिससे हर धर्म की महिलाएं अधिक सशक्त होंगी। साथ ही, लिव-इन रिलेशनशिप को भी कानून के दायरे में लाया जाएगा।

समान नागरिक संहिता लागू करने की प्रक्रिया के आठ प्रमुख चरण

1. घोषणा:

2022 के विधानसभा चुनावों से पहले ही सरकार ने राज्य में यूसीसी लागू करने का संकल्प लिया।

2. निर्णय:

सरकार के गठन के बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लागू करने का निर्णय लिया गया।

3. विशेषज्ञ समिति का गठन:

सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया, जिसे यूसीसी का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

4. विधानसभा में पारित विधेयक:

समिति की रिपोर्ट के आधार पर 7 फरवरी को राज्य विधानसभा में यूसीसी विधेयक पारित हुआ।

5. राष्ट्रपति की सहमति:

12 मार्च को राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यूसीसी अधिनियम को कानूनी रूप से स्वीकृति मिली।

6. नियमावली निर्माण समिति:

यूसीसी के क्रियान्वयन हेतु सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एक विशेष समिति बनाई गई, जिसने नियमावली तैयार करने के लिए लगभग 140 बैठकें आयोजित कीं।

7. अंतिम मसौदा प्रस्तुत:

विशेषज्ञ समिति ने 18 अक्टूबर को यूसीसी की नियमावली का अंतिम मसौदा सरकार को सौंप दिया।

8. लागू होने की तैयारी:

अब अंतिम चरण में सरकार जल्द ही मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी को लागू करने का औपचारिक निर्णय लेगी।

महिलाओं को मिलेगी विशेष सशक्तिकरण की राह

यूसीसी लागू होने से राज्य में महिलाओं को समान अधिकार और न्याय मिल सकेगा, जो अन्य राज्यों की तुलना में अधिक प्रभावी होगा। इस पहल से उत्तराखंड लिव-इन रिलेशनशिप जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं को भी कानूनी मान्यता देने की दिशा में कदम बढ़ाएगा। उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद यह कानून विभिन्न धर्मों के बीच मौजूद असमानताओं को समाप्त करेगा और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की गारंटी सुनिश्चित करेगा।

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