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अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी पांडे को जूना अखाड़े से बर्खास्त कर दिया गया है। पिछले दिनों अल्मोड़ा जेल में कुछ संतों द्वारा उन्हें सन्यास दीक्षा दी गई थी, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया। जेल में दी गई इस दीक्षा के बाद कई मठों की जिम्मेदारी भी पांडे को सौंपी गई थी। इस घटना के बाद अखाड़े में हंगामा खड़ा हो गया, और अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरिगिरी महाराज ने मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की।

जांच और बर्खास्तगी:

जांच कमेटी के गठन के बाद, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी के नेतृत्व में समिति ने पूरे मामले की जांच की। समिति को दशहरा तक जांच पूरी करने का समय दिया गया था, और रिपोर्ट आने के बाद पीपी पांडे को अखाड़े से बाहर कर दिया गया। जूना अखाड़ा के संरक्षक हरिगिरी महाराज ने बताया कि पांडे को दीक्षा देने वाले संत फर्जी थे और सिर्फ कुछ दशनामी संत ही इस पूरे प्रकरण में शामिल थे। इस विवाद के बाद जूना अखाड़े ने पांडे को पूरी तरह से अखाड़े से निष्कासित कर दिया।

प्रशासन और संतों की प्रतिक्रिया:

हरिगिरी महाराज ने संतों की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो संत इसमें शामिल थे, वे पंजीकृत संत नहीं थे और उनका अखाड़े के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जूना अखाड़ा ने अंडरवर्ल्ड डॉन जैसे व्यक्ति को संतों के समूह में शामिल करने की इजाजत नहीं दी थी और इस तरह की घटना को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अखाड़े का यह कदम संत समाज में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने की दिशा में एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

प्रकरण का असर:

यह मामला उजागर होने के बाद न केवल जूना अखाड़े के भीतर बल्कि पूरे संत समाज में हलचल मच गई है। इस घटना ने अखाड़े की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए थे, जिसे सुधारने के लिए तुरंत कार्रवाई की गई। अब अखाड़ा इस तरह की घटनाओं को रोकने और भविष्य में बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के उपाय कर रहा है।

निष्कर्ष:

अंडरवर्ल्ड से जुड़े व्यक्ति को संत समाज में शामिल करने के इस प्रयास को जूना अखाड़ा ने सख्त कार्रवाई के साथ समाप्त किया है। अखाड़े ने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे व्यक्तियों के लिए संत समाज में कोई स्थान नहीं है, और इस निर्णय के बाद अखाड़े में शांति बहाल करने की कोशिशें की जा रही हैं।

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