उतराखंड में स्थापना दिवस के अवसर पर 9 नवंबर से समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा। इसके साथ ही राज्य सरकार प्रवासी उत्तराखंडियों को राज्य में लौटने और नए उद्योगों की स्थापना के जरिए रोजगार सृजन में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए ‘आओ अपने गांव वापस आओ’
अभियान मुख्यमंत्री ने बताया कि पलायन रोकने के प्रयासों के तहत सरकार एक विशेष पहल कर रही है। 9 नवंबर से पहले ‘आओ अपने गांव वापस आओ’ थीम पर प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए सम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें उन्हें राज्य में लौटकर उद्योग स्थापित करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। धामी ने कहा कि राज्य में रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हैं और सरकार उद्योगों के विकास के लिए हरसंभव सहयोग देगी। उन्होंने जोर दिया कि उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में यह कदम बेहद महत्वपूर्ण होगा।
महिला आरक्षण और रोजगार के नए अवसर
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक पारित कर उत्तराखंड की महिलाओं को 30% आरक्षण देने का प्रावधान किया है, जिससे उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, रोजगार और उद्योग स्थापित करने के लिए नए अवसर तैयार किए जा रहे हैं, ताकि युवाओं के पलायन को रोका जा सके।
उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) का मुख्यमंत्री आवास घेराव का आह्वान
इस बीच, उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की रणनीति तैयार की है। अल्मोड़ा में आयोजित एक बैठक में यूकेडी के जिला अध्यक्ष दिनेश जोशी ने कार्यकर्ताओं से अधिक से अधिक संख्या में इस प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया। बैठक में तय किया गया कि टैक्सी यूनियन, धर्मनिरपेक्ष जागरण मंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, बार एसोसिएशन और व्यापार मंडल जैसे संगठनों से समर्थन मांगा जाएगा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में जिम्मेदारियां भी सौंपी गई हैं। नगर क्षेत्र की जिम्मेदारी गिरीश नाथ गोस्वामी को दी गई, जबकि सोमेश्वर, सेराघाट और ताकुला के कार्यों का नेतृत्व कुंदन सिंह बिष्ट, मनोज सिंह बिष्ट और तनय देवड़ी करेंगे। बैठक में त्रिलोक सिंह, दीपक कुमार, पंकज कुमार समेत अन्य प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित थे। —
निष्कर्ष
राज्य स्थापना दिवस पर समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय उत्तराखंड सरकार के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा। सरकार का मानना है कि इससे राज्य में समावेशी विकास को गति मिलेगी और रोजगार के अवसरों के जरिए पलायन की समस्या को कम किया जा सकेगा। दूसरी ओर, यूकेडी का विरोध कार्यक्रम सरकार के सामने चुनौतियां पेश कर सकता है।