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उत्तराखंड सरकार शहीद सैनिकों के परिजनों को राज्य परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने जा रही है। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले वीरता पदक धारक सैनिकों को यह सुविधा दी जा रही थी, लेकिन अब यह योजना शहीदों के परिवारों के लिए भी लागू होगी।

सैनिक कल्याण बैठक में अहम निर्माण

सैनिक कल्याण विभाग की बैठक में मंत्री गणेश जोशी ने अफसरों को निर्देश दिया कि संविदा कर्मचारियों को उपनल कर्मियों की तरह अवकाश प्रदान करने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाए। इसके साथ ही वीरता पदक धारक सैनिकों को राज्य परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिल रही है, और अब शहीदों के परिजन भी इसका लाभ उठा सकेंगे।

सेना और पुलिस भर्ती के लिए बढ़ेगी धनराशि:

सैनिकों , पूर्व सैनिकों, विधवाओं और आश्रितों को सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस भर्ती के दौरान मिलने वाली भोजन व्यवस्था की धनराशि को 80 रुपये से बढ़ाकर 225 रुपये किया जाएगा। यह कदम भर्ती के दौरान बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है।

शहीदों के नाम पर बनेगा शौर्य द्वार:

बैठक में विभिन्न जिलों में शहीद सैनिकों के नाम पर शौर्य द्वार निर्माण की योजनाओं पर भी चर्चा की गई। चमोली जिले में लांसनायक शौर्य चक्र विजेता रघुवीर सिंह, सिपाही सूरज सिंह तोपाल, महावीर चक्र विजेता सिपाही अनुसूया प्रसाद के नाम पर द्वार का निर्माण किया जाएगा। उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, टिहरी और रुद्रप्रयाग जिलों में भी विभिन्न शहीदों के नाम पर द्वार बनाए जाएंगे, ताकि उनके बलिदान को सम्मानित किया जा सके।

सैन्य धाम निर्माण और अन्य योजनाएं:

सैन्य धाम के निर्माण कार्य को लेकर भी जरूरी निर्देश दिए गए। बैठक में बताया गया कि अब तक वीरता पदक धारक 30 सैनिकों को राज्य परिवहन निगम की बसों में मुफ्त यात्रा के पास जारी कर दिए गए हैं। इन योजनाओं के तहत उत्तराखंड सरकार शहीदों और उनके परिवारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा रही है।बैठक में सचिव सैनिक कल्याण दीपेंद्र चौधरी, सैनिक कल्याण निदेशक ब्रिगेडियर अमृतलाल, उप निदेशक कर्नल एमएस जोधा और उप निदेशक देवेंद्र कुमार समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

सम्पति:यह पहल उत्तराखंड के शहीद सैनिकों और वीरता पदकधारी सैनिकों के प्रति राज्य सरकार की कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। इससे न केवल उनके परिजनों को आर्थिक मदद मिलेगी, बल्कि राज्य की जनता में भी शहीदों के बलिदान को लेकर जागरूकता और सम्मान का भाव बढ़ेगा।

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