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थराली, चमोली – वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पास हुए भारतीय वायुसेना के विमान हादसे में लापता हुए उत्तराखंड के थराली ब्लॉक के कोलपुड़ी गांव निवासी जवान नारायण सिंह बिष्ट के पार्थिव शरीर के अवशेष 56 साल बाद मिल गए हैं। बुधवार को सेना के विशेष विमान से उनके अवशेष देहरादून से गौचर हवाई पट्टी लाए गए। गुरुवार को उन्हें उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी में अंतिम विदाई दी जाएगी।इस अवसर पर स्थानीय प्रशासन और रुद्रप्रयाग से पहुंची सेना की टुकड़ी ने नारायण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग, संतोष कुमार पांडे ने बताया कि गुरुवार सुबह जवान के अवशेष उनके पैतृक गांव कोलपुड़ी लाए गए, जहां उन्हें अंतिम संस्कार के साथ विदा किया जाएगा।

कई सालों बाद मिला परिजनों को जवान का पता

नारायण सिंह बिष्ट के भतीजे कुंवर सिंह बिष्ट ने बताया कि उन्हें रुद्रप्रयाग स्थित रेजीमेंट से फोन पर जानकारी मिली थी कि उनके ताऊ के अवशेष मिल गए हैं। गुरुवार को सेना के वाहन से पार्थिव शरीर के अवशेष अंतिम दर्शन के लिए पैतृक गांव पहुंचाए गए। ग्राम पंचायत कोलपुड़ी के प्रधान जयबीर सिंह बिष्ट ने बताया कि नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी के साथ हुआ था। साल में केवल एक बार गांव आने वाले नारायण सिंह जब कई वर्षों तक घर नहीं लौटे, तब परिवार को एक दिन डाक तार के जरिए सूचना मिली कि वह एक विमान दुर्घटना में लापता हो गए हैं। इसके बाद उनकी कोई खबर नहीं मिली। वर्ष 2011 में उनकी पत्नी बसंती देवी का भी निधन हो गया था।

1968 की विमान दुर्घटना और 102 लापता लोगों की कहानी

7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एक विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय खराब मौसम के कारण हिमाचल प्रदेश के रोहतांग रेंज के अंतर्गत ढाका ग्लेशियर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में सवार 102 लोगों का कोई पता नहीं चल पाया। कई वर्षों बाद, 2003 में, अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के एक दल ने लाहौल-स्पीति में बर्फ के मलबे से कुछ अवशेष खोजने में सफलता पाई।

हाल ही में डोगरा स्काउट और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू दल को इस क्षेत्र में दबे हुए चार और लोगों के अवशेष मिले, जिनमें से एक नारायण सिंह बिष्ट भी थे। जवान नारायण सिंह के परिवार को दो दिन पहले ही डोगरा स्काउट्स के एज्युडेंट की ओर से पत्र द्वारा उनके अवशेष मिलने की सूचना दी गई थी।

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