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उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था ने राज्य सरकार की नीतियों और निवेशों के चलते 20 महीनों में 1.3 गुना की वृद्धि दर्ज की है। इस आर्थिक उछाल का प्रमुख कारण पर्यटन, विनिर्माण, और सरकारी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि रही है। इसके अलावा, प्रति व्यक्ति आय में भी 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति और मजबूत हुई है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक उत्तराखंड के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को दोगुना करने का है। 20 माह के भीतर ही जीएसडीपी में 1.3 गुना की वृद्धि हुई है। नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार, वर्ष 2021-22 में राज्य की जीएसडीपी 2.74 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब वर्ष 2023-24 में 3.46 लाख करोड़ रुपये हो गई है।यह वृद्धि राज्य सरकार की 30 से अधिक नीतियों और 150 से अधिक निवेश एवं क्षेत्रीय पहलों के परिणामस्वरूप आई है।

इसके चलते राज्य की प्रति व्यक्ति आय भी वर्ष 2021-22 के 2.05 लाख रुपये से बढ़कर 2023-24 में 2.60 लाख रुपये हो गई है। राष्ट्रीय स्तर पर जहां प्रति व्यक्ति आय में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं उत्तराखंड में यह वृद्धि 26 प्रतिशत रही।श्रम बल और रोजगार के क्षेत्र में भी उत्तराखंड ने उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत सरकार के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में श्रम बल की भागीदारी दर (15-29 आयु वर्ग) वर्ष 2022-23 के 43.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 49 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, वर्क पापुलेशन रेशियो 37.5 प्रतिशत से बढ़कर 44.2 प्रतिशत हो गया है।

15 से 59 आयु वर्ग के लोगों में भी श्रम बल भागीदारी दर और वर्क पापुलेशन रेशियो में सुधार देखा गया है।महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी राज्य सरकार की योजनाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। “लखपति दीदी” योजना और महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देने से महिलाओं की रोजगार में भागीदारी बढ़ी है। 15 से 29 आयु वर्ग में महिलाओं का वर्क पापुलेशन रेशियो 26.1 प्रतिशत से बढ़कर 32.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में यह 37 प्रतिशत से बढ़कर 43.7 प्रतिशत हो गया है।

बेरोजगारी दर में भी सुधार देखने को मिला है। 15 से 29 आयु वर्ग में वर्ष 2022-23 में बेरोजगारी दर 14.2 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 9.8 प्रतिशत रह गई। सरकार की नई और पुरानी नीतियों में संशोधन, साथ ही रोजगार और स्वरोजगार के लिए चलाई गई योजनाओं का इस आर्थिक प्रगति में अहम योगदान रहा है।

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