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उत्तराखंड के जंगलों में अब प्लास्टिक या अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा फेंकने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने उत्तराखंड प्लास्टिक एवं जैव अनाशित कूड़ा अधिनियम-2013 के तहत 2021 में जारी अधिसूचना के माध्यम से वन विभाग को चालान करने का अधिकार प्रदान किया है। इसके तहत, वन विभाग अब कचरा फेंकने वाले व्यक्तियों पर तुरंत 500 से 1000 रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है।

जुर्माना देने पर मामला समाप्त हो जाएगा, लेकिन यदि जुर्माना अदा नहीं किया जाता, तो एचटू केस दर्ज किया जाएगा।इससे पहले, वन विभाग कचरा फेंकने वालों पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करता था, जिसके लिए सीधे एचटू केस दर्ज करना पड़ता था। इस प्रक्रिया की जटिलता और समय लेने वाली प्रकृति के कारण, केवल गंभीर मामलों में ही कार्रवाई की जाती थी, जबकि अन्य मामलों में केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता था।

लेकिन अब नए प्रावधान के तहत, विभाग को तुरंत जुर्माना वसूलने का अधिकार मिल गया है, जिससे छोटे मामलों में भी कार्रवाई करना संभव हो गया है।रेंज स्तर पर चालान बुकें भी वन विभाग को उपलब्ध कराई गई हैं ताकि त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जा सके। इस पहल से अब जंगलों में कचरा फेंकने वाले लोगों को कई बार सोचना पड़ेगा।

रायपुर के रेंजर राकेश नेगी ने बताया कि रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में कचरा फेंकने वालों पर अब तत्काल जुर्माना लगाया जा सकेगा, जिससे यह कदम जंगलों की सफाई और संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा।

इस अधिनियम के तहत, सरकार द्वारा किए गए संशोधनों से यह सुनिश्चित होगा कि राज्य के जंगलों को प्लास्टिक और गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे से बचाया जा सके और दोषियों पर प्रभावी तरीके से जुर्माना लगाया जा सके।

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