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हरिद्वार पुलिस ने नकली नोटों का कारोबार करने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो सगे भाई भी शामिल हैं। आरोपियों के कब्जे से 500 रुपये के नकली नोटों की भारी मात्रा (कुल 2.25 लाख रुपये) के साथ-साथ दो लैपटॉप, दो प्रिंटर, नोट छापने के उपकरण, दो मोटरसाइकिल और पांच मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बृहस्पतिवार को प्रेस वार्ता में बताया कि बुधवार सुबह पुलिस टीम ने सुमननगर पुलिया के पास दो बाइकों पर चार संदिग्धों को रोका और उनकी तलाशी ली। इनके पास से 500 रुपये के कई नकली नोट बरामद हुए। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने नकली नोट छापने की बात स्वीकार की और खुलासा किया कि उन्होंने देहरादून के सुद्धोवाला में किराये के कमरे में नकली नोट छापने का काम किया था। आरोपियों के नाम सौरभ, निखिल, अनंतबीर, और नीरज बताए गए हैं, जो सहारनपुर और हापुड़ के निवासी हैं।

देहरादून में भी हुई कार्रवाई

इस जानकारी के आधार पर एएसपी जितेंद्र मेहरा की अगुवाई में पुलिस टीम ने देहरादून में दबिश दी और वहां से मोहित और विशाल नामक दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया। मोहित के कमरे से पुलिस ने 500 रुपये के नकली नोटों के साथ एक लैपटॉप, प्रिंटर और अन्य उपकरण बरामद किए। विशाल को दून एन्क्लेव, पटेलनगर से गिरफ्तार किया गया, जहां से नकली नोटों की एक और खेप मिली।

नकली नोटों का इस्तेमाल भीड़-भाड़ वाले बाजारों में

एसएसपी डोबाल ने बताया कि आरोपी नकली नोटों को हरिद्वार और देहरादून के भीड़-भाड़ वाले बाजारों में इस्तेमाल करते थे। वे खासतौर पर बुजुर्ग दुकानदारों को निशाना बनाकर छोटी खरीदारी करते थे और शेष रकम असली में वापस ले लेते थे। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि मोहित और निखिल पहले भी नकली नोटों के मामले में हिमाचल प्रदेश के नहान थाने से जेल जा चुके हैं। मोहित पर दुष्कर्म का आरोप भी है और वह विकासनगर, देहरादून थाने से जेल जा चुका है।

गिरोह में दो सगे भाई भी शामिल

आरोपी सौरभ पांचवीं तक पढ़ा है और अपने परिवार द्वारा बेदखल किए जाने के बाद इस अपराध में शामिल हुआ। विशाल और नीरज, जो इस गिरोह के सक्रिय सदस्य हैं, दोनों सगे भाई हैं और आठवीं फेल और पांचवीं पास हैं। ये दोनों देहरादून में किराये के कमरे में नकली नोट बनाने का काम कर रहे थे। सौरभ भी लालच में आकर इनके साथ शामिल हो गया।

सेना की नौकरी छोड़कर बना अपराधी

अनंतबीर, जो इस गिरोह का एक और सदस्य है, 12वीं पास है और उसने 2001 में बंगाल इंजीनियर सेंटर (आर्मी) में नौकरी की थी। 2004 में एक हादसे के बाद उसने सेना की नौकरी छोड़ दी। बाद में वह लूट के मामले में बिजनौर से जेल जा चुका है। जेल से बाहर आने के बाद उसकी दोस्ती मोहित से हो गई और वह भी नकली नोटों के धंधे में शामिल हो गया।पुलिस द्वारा की गई इस बड़ी कार्रवाई से नकली नोटों के इस गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो लंबे समय से हरिद्वार और देहरादून के बाजारों में नकली नोट चला रहे थे।

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