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देहरादून। स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे गंभीर सवालों और यौन उत्पीड़न की बढ़ती शिकायतों के बीच, परिवहन सचिव बृजेश कुमार संत ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाल ही में पटेलनगर थाना क्षेत्र में एक छात्रा के साथ वैन चालक द्वारा यौन उत्पीड़न की घटना के बाद यह कदम उठाया गया है। सचिव ने आरटीओ को सभी स्कूली वाहन चालकों और परिचालकों का तत्काल सत्यापन करने के आदेश दिए हैं, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके तहत आज गुरुवार को आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने सभी स्कूल वैन संचालकों की बैठक बुलाई है। बैठक के बाद चालक और परिचालकों का पुलिस द्वारा चरित्र सत्यापन कराया जाएगा, जिसमें उनके आपराधिक इतिहास की भी जांच होगी।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन अनिवार्य

परिवहन सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूली वाहनों के लिए जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाए। जिन वाहनों के चालकों पर ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाने, या यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले दर्ज हैं, उन्हें स्कूल वाहनों से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा, दो बार रेड लाइट जंप करने वाले चालकों को भी स्कूल वाहन चलाने के लिए अयोग्य माना जाएगा।स्कूली वाहनों के चालकों के पास कम से कम पांच वर्षों का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना अनिवार्य होगा। चालकों के सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करते हुए, दून शहर में विशेष अभियान चलाया जाएगा। परेड ग्राउंड में शिविर लगाकर चालकों और वाहनों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इसके साथ ही चालकों की काउंसलिंग भी की जाएगी।

स्कूलों में भी होगा सर्वेक्षण

परिवहन विभाग अब स्कूलों में जाकर बच्चों की परिवहन सुविधा का सर्वेक्षण करेगा। आरटीओ ने बताया कि यह देखा जाएगा कि बच्चे स्कूल बस, वैन, निजी कैब, ऑटो, रिक्शा आदि किन साधनों से स्कूल आते हैं। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी ताकि बच्चों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सके।

स्कूली वाहन चालकों के लिए सख्त नियम

– चालक के पास पांच साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना अनिवार्य।

– पुलिस द्वारा चरित्र सत्यापन और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य होगी।

– जिन चालकों का यातायात नियम तोड़ने पर दो बार चालान हुआ है, वे स्कूली वाहन चलाने के लिए अयोग्य माने जाएंगे।

– ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर वाहन चलाने या खतरनाक ढंग से वाहन चलाने वालों को प्रतिबंधित किया जाएगा।

– बिना योग्य परिचालक के कोई स्कूल बस संचालित नहीं होगी।

– छात्राओं को ले जाने वाले वाहनों में महिला सहायक अनिवार्य होगी

– स्कूली वाहन में निर्धारित संख्या से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाएंगे, और बैग रखने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

– सभी स्कूली वाहनों में फर्स्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य है।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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