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केदारनाथ यात्रा के दौरान केदारनाथ हाईवे पर हुए एक बड़े भूस्खलन में एक तीर्थयात्री की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। हादसे के बाद हाईवे पर यातायात को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। केदारनाथ के पैदल मार्ग पर भी भूस्खलन हुआ, जिससे रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन वहां से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। सोमवार देर शाम, श्रद्धालुओं का एक दल बाबा केदार के दर्शन करके सोनप्रयाग लौट रहा था। लगभग साढ़े सात बजे यह दल गौरीकुंड से चार किमी आगे मुनकटिया के पास पहुंचा, तभी वहां पहाड़ी से भारी भूस्खलन हो गया। इस घटना में आठ श्रद्धालु पहाड़ी से गिरे बोल्डर और मलबे की चपेट में आ गए। रेस्क्यू टीम (एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन) तुरंत मौके पर पहुंची, लेकिन अंधेरा और लगातार हो रही बारिश के कारण राहत कार्यों में कठिनाई आई। टीम ने किसी तरह चार लोगों को मलबे से बाहर निकाला, जिनमें से एक को मृत घोषित कर दिया गया। प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए रात 9 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया।मंगलवार सुबह मौसम में सुधार होते ही फिर से लापता लोगों की तलाश शुरू की गई। करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद मलबे से एक पुरुष और तीन महिलाओं के शव बरामद किए गए। शाम को रेस्क्यू पूरा होने की सूचना दी गई, लेकिन किसी और के मलबे में फंसे होने की आशंका के चलते खोजबीन जारी रही। घटना के कारण सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच यातायात मंगलवार सुबह 6:30 बजे तक बंद रखा गया।

गंगोत्री हाईवे भी बंद

उत्तरकाशी में गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी के पास भी भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे राजमार्ग अवरुद्ध हो गया है। इस कारण गंगोत्री की ओर जा रहे और वहां से लौट रहे तीर्थयात्रियों के वाहन दोनों ओर फंसे हुए हैं। लगभग 50 मीटर के क्षेत्र में भारी बोल्डर और मलबा गिरने से यह समस्या उत्पन्न हुई है।

डबराणी-सोनगाड़ के बीच गंगोत्री हाईवे पर संकट

गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर डबराणी और सोनगाड़ के बीच भागीरथी नदी के किनारे लगातार कटाव हो रहा है, जिससे हाईवे कभी भी ध्वस्त हो सकता है। बीते वर्षों में सीमा सड़क संगठन द्वारा किए गए सुरक्षा उपाय अब दिखाई नहीं दे रहे हैं, और बाल कंडार मंदिर भी खतरे में आ गया है। यह हाईवे उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र उपला टकनौर, गंगोत्री धाम और चीन सीमा को जोड़ता है, और इसका कटाव 2010 में बंद हुई लोहारीनाग पाला परियोजना के अधूरे काम के कारण हो रहा है। पिछले दो सालों से इस क्षेत्र में जारी कटाव के कारण सुरक्षा के लिए लगाए गए वायरक्रेट और हाईवे का बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। स्थानीय निवासी और हर्षिल के निवासी माधवेंद्र रावत ने चिंता जताई है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हाईवे कभी भी अवरुद्ध हो सकता है। जिससे सीमांत क्षेत्र उपला टकनौर, गंगोत्री और चीन सीमा से संपर्क टूट सकता है। गंगोत्री हाईवे सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

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