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उत्तराखंड ने प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए डिजिटल डिपॉजिट रिफंड सिस्टम (डीडीआरएस) की शुरुआत की है, जिससे यह प्रणाली अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में इसका शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने स्वयं प्लास्टिक की बोतल का बारकोड स्कैन करके डिजिटल पेमेंट प्राप्त किया, जो इस सिस्टम के कामकाज का प्रत्यक्ष उदाहरण था।

यह सिस्टम 1 जनवरी, 2025 से पूरी तरह से लागू हो जाएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आगामी चार महीनों में इसके लिए आवश्यक सेटअप तैयार करेगा।डीडीआरएस का उद्देश्य सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का कुशल निपटान सुनिश्चित करना है। इसके तहत पानी, कोल्ड ड्रिंक की प्लास्टिक बोतलों, चिप्स आदि के पैकेट्स पर संबंधित कंपनियों द्वारा क्यूआर कोड अंकित किया जाएगा।

इन उत्पादों की खरीद के समय उपभोक्ता से एक निश्चित राशि वसूली जाएगी, जो कि उपभोक्ता द्वारा प्लास्टिक बोतल या रैपर को दुकानदार को वापस करने पर डिजिटल माध्यम से वापस कर दी जाएगी। इस पहल से न केवल प्लास्टिक कचरे का संग्रहण और रिसाइक्लिंग सुगम होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। उल्लेखनीय है कि इसी प्रकार का पायलट प्रोजेक्ट दो साल पहले केदारनाथ में शुरू किया गया था, जिसे रुद्रप्रयाग जिले को 2022 में डिजिटल इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया था।मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्लास्टिक कचरा पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती है, और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार प्रभावी कदम उठा रही है। राज्य को “ग्रीन और क्लीन” बनाने की दिशा में डीडीआरएस एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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