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दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बनने जा रहे श्री केदारनाथ धाम मंदिर का निर्माण कार्य आखिरकार रोक दिया गया है। उत्तराखंड में इस प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास के तुरंत बाद उभरते गहरे विरोध और धर्मावलंबियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है। केदारनाथ धाम की प्रतिष्ठा और महत्व को लेकर उत्तराखंड में इस मुद्दे ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। चार धामों के पंडा-पुरोहितों के साथ-साथ लाखों श्रद्धालुओं ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी कि केदारनाथ धाम का नाम सिर्फ एक ही स्थान के लिए पवित्र और मान्य है। उनके अनुसार, इसके नाम का इस्तेमाल देश में कहीं और किसी भी अन्य मंदिर के लिए नहीं होना चाहिए। विरोध की गंभीरता को देखते हुए उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि देश में केदारनाथ धाम का एक ही स्थान है और रहेगा। धामी सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि धामों के नाम के दुरुपयोग को रोकने के लिए जल्द ही एक सख्त कानून लाया जाएगा, जिससे भविष्य में किसी को भी पवित्र धामों के नाम का अनुचित लाभ उठाने का मौका न मिल सके।श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की अध्यक्ष सुमन मित्तल ने भी पुष्टि की है कि अब बुराड़ी के बख्तावरपुर रोड, हिरणकी में केदारनाथ धाम के नाम से कोई मंदिर नहीं बनाया जाएगा।

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इसके अलावा, ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के लिए जारी किए गए ऑनलाइन क्यूआर कोड से दान लेने की प्रक्रिया को भी बंद कर दिया है। यह विवाद न केवल धार्मिक भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत में धार्मिक स्थलों के नाम और उनकी प्रतिष्ठा को लेकर कितनी गहरी भावना जुड़ी हुई है। इस विवाद के बाद, उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों ने यह संदेश दिया है कि धामों की पवित्रता और अनन्य पहचान को किसी भी कीमत पर बनाए रखा जाएगा।

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