*गोपेश्वर चारधाम यात्रा 2024 के दौरान बदरीनाथ हाईवे पर यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भारी वर्षा के चलते विभिन्न स्थानों पर मलबा आने से शनिवार सुबह बदरीनाथ हाईवे अवरुद्ध हो गया, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। एनएच और बीआरओ की टीमें हाईवे को फिर से चालू करने के लिए सुबह से ही मलबा हटाने के कार्य में जुटी हुई हैं।
नंदप्रयाग के पास विशेष रूप से बाधा
शुक्रवार को भी नंदप्रयाग के पास हाईवे अवरुद्ध होने से बदरीनाथ धाम की ओर जाने और वहां से लौटने वाले 700 से अधिक तीर्थयात्रियों को विभिन्न स्थानों पर रोक दिया गया। चमोली, पीपलकोटी, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग और गौचर जैसे स्थानों पर तीर्थयात्रियों को अस्थायी रूप से ठहराया गया। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों के लिए बिस्किट और पेयजल की व्यवस्था की।
चोपता मोटर मार्ग भी बाधित
चोपता मोटर मार्ग पर दीवार गिरने के कारण बड़े वाहनों का आवागमन अवरुद्ध हो गया है। शुक्रवार को भी बदरीनाथ हाईवे पर मलबा गिरने से यातायात बाधित रहा, लेकिन सुबह साढ़े दस बजे तक मलबा हटाकर हाईवे को वाहनों के लिए फिर से खोल दिया गया। हालांकि, नंदप्रयाग में हाईवे फिर से अवरुद्ध हो गया, जिसके चलते छोटे वाहनों को कौठियालसैंण नंदप्रयाग मोटर मार्ग के जरिए भेजा गया।
कई वाहन क्षतिग्रस्त
मलबा और बोल्डर आने के कारण कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग पर भी कर्णप्रयाग के पास तीन घंटे तक यातायात बाधित रहा, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। जेसीबी की मदद से मलबा हटाकर वाहनों की आवाजाही सुबह नौ बजे से शुरू कराई गई।
भूस्खलन का असर
- थाना प्रभारी कर्णप्रयाग डीएस रावत ने जानकारी दी कि सुबह पांच बजे कमेड़ा में मलबा आने के कारण राजमार्ग अवरुद्ध हो गया था। कर्णप्रयाग-नैनीसैंण मोटर मार्ग पर भी पहाड़ी से आए मलबे के कारण वाहनों का आवागमन पूरी तरह से ठप रहा। कर्णप्रयाग के नगर क्षेत्र में बहुगुणानगर और मंडी परिषद परिसर भी भूधंसाव की चपेट में आ गए हैं।
बदरीनाथ राजमार्ग की स्थिति
गुरुवार को बदरीनाथ राजमार्ग का एक बीस मीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया था, जिससे मार्ग पर दरारें आ गईं। बहुगुणानगर में भूधंसाव की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय भवनस्वामियों के शिष्टमंडल ने शुक्रवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को पत्र सौंपा है, जिसमें उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
यह भी पढें- सिल्क्यारा टनल हादसा में 41 श्रमिकों के रेस्क्यू के 6 महीने बाद भी नहीं हुआ भुगतान, खर्च हुए पौने दो करोड़