प्रदेश में जंगली जानवरों के द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान की समस्या गंभीर हो गई है। मैदानों में हाथी और नील गाय, जबकि पहाड़ों में बंदर और जंगली सुअर किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। इस कारण किसानों की खेतीबाड़ी करने की इच्छा घट रही है और वे वैकल्पिक आजीविका की ओर रुख कर रहे हैं। वर्तमान में, कृषि क्षेत्रफल में लगातार कमी देखी जा रही है। 2001 में 7.70 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल घटकर 2022-23 में 6.21 लाख हेक्टेयर हो गया है, जिससे परती भूमि का क्षेत्रफल भी बढ़कर 1.91 लाख हेक्टेयर हो गया है।समस्या के समाधान के लिए, प्रदेश सरकार ने पहली बार पलायन आयोग को जिम्मेदारी सौंपी है। आयोग प्रदेशभर में सर्वे करके जंगली जानवरों से हो रहे फसलों के नुकसान का आकलन करेगा और इसके समाधान के लिए ठोस सुझाव प्रदान करेगा।

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फिलहाल, कृषि और उद्यान विभाग के पास इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस योजना नहीं है, लेकिन आयोग की रिपोर्ट से इस दिशा में प्रगति की उम्मीद है।

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