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नैनीताल: हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। यह याचिका अधिवक्ता मनीषा भंडारी द्वारा दायर की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि डेटिंग के दौरान पकड़े जाने वाले नाबालिग प्रेमी युगल में से सिर्फ लड़के को ही गिरफ्तार किया जाता है।हल्द्वानी जेल में बंद किशोरकोर्ट की सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई कि हल्द्वानी जेल में ऐसे कई किशोर बंद हैं जिन्हें डेटिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इस पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।याचिका में उठाए गए मुद्देअधिवक्ता मनीषा भंडारी ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि नाबालिग लड़के और लड़कियों के डेटिंग के मामले में अक्सर लड़कों को ही दोषी माना जाता है और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है। कई मामलों में, यहां तक कि जब लड़की बड़ी होती है, तब भी लड़के को ही हिरासत में लिया जाता है और उसे अपराधी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का पालन जरूरीयाचिकाकर्ता का कहना है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामलों में लड़के, लड़कियों और उनके परिजनों की काउंसलिंग की जानी चाहिए। इसके विपरीत, पॉक्सो एक्ट की कुछ धाराओं के तहत किशोरों को जेल भेजा जा रहा है, जो कि अनुचित है। याचिका में यह भी कहा गया है कि कानून के मुताबिक 16 से 18 साल के बच्चों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रावधान है। काउंसलिंग की आवश्यकतायाचिकाकर्ता का मानना है कि नाबालिगों को सीधे जेल भेजने के बजाय उनकी काउंसलिंग की जानी चाहिए। जिस उम्र में उन्हें स्कूल या कॉलेज में होना चाहिए, उस उम्र में उन्हें जेल में डालना उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है।हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इस पर विस्तृत विचार करने का निर्णय लिया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में क्या जवाब देती है और आगे की कार्रवाई क्या होगी।

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