इंटरनेट मीडिया जिसका उपयोग आज के दौर में बच्चे से लेकर बूढ़े तक कर रहे हैं। इसके कुछ फायदे हैं तो हजारों नुकसान भी हैं। अंजान व्यक्ति से जान पहचान बढ़ाने व दोस्ती करने का इतना बड़ा साइड इफेक्ट हो सकता है, यह शायद कभी टिहरी के एक गांव की युवती ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
जी हां ,युवती की एक गलती उसके लिए जीवनभर का दर्द बन गई। युवती के साथ-साथ उसके परिवार को जो तकलीफ हुई है, उसकी भरपाई कर पाना नामुमकिन है। बेहतर यह है कि इंटरनेट मीडिया की आदी हो चुकी नई पीढ़ी को इसके नुकसान के प्रति सावधान किया जाए।
दरअसल,पुलिस की गिरफ्त में आए दोनों आरोपित बेरोजगार हैं। एक आरोपित के पिता तहसील में कर्मचारी है, जबकि दूसरे के पिता मामूली काम धंधा करते हैं। दीपक ने गांव की भोली-भाली युवती को अपने जाल में फंसाकर देहरादून में हवस का शिकार बनाया। युवती को पता ही नहीं चला कि दीपक ने कब उसकी अश्लील वीडियो बना ली।
बता दें की दोनों के घर लौटने के बाद दीपक ने ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू कर दिया। दीपक ने फोन पर अश्लील वीडियो की जानकारी दी तो युवती के होश उड़ गए। दीपक उसे बार-बार ब्लैकमेल करते हुए दोबारा मिलने का दबाव बनाता रहा। युवती मिलने से इन्कार करती तो वह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर डालने की धमकी देता। इज्जत बचाने के लिए मजबूरी में युवती ने हरिद्वार आने के लिए हामी भर दी।इस पर दीपक ने अपने दोस्त मनीष को अपने प्लान में शामिल किया। दोनों को लगा कि युवती उनकी हवस मिटाने के साथ-साथ जेब खर्च के लिए पैसे भी दे सकती है। दोबारा हरिद्वार में मिलने पर दोनों ने वीडियो बनाकर पैसे की डिमांड शुरू कर दी। तब युवती को अहसास हुआ कि उसने दोबारा मिलकर पहले से बड़ी गलती कर दी।
वहीं मध्यम वर्गीय परिवार की युवती ने पैसे न होने की व्यथा सुनाई। मगर दोनों आरोपितों के सिर पर हैवान सवार था। उन्होंने युवती का मोबाइल छीनकर अश्लील वीडियो उसके स्वजन को भेज दी। यहीं से आरोपितों के जेल जाने की पटकथा शुरू हुई।आरोपित ऐसा न करते तो शायद युवती आगे भी ब्लैकमेलिंग का शिकार होती रहती।
मामला स्वजन तक पहुंचने पर वे पीड़िता को लेकर सीधे पुलिस के पास पहुंचे और हरिद्वार कोतवाली की पुलिस ने भी बिना वक्त गंवाए दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया, लेकिन यह घटना इंटरनेट मीडिया पर घंटों बिताने और अंजान लोगों से दोस्ती और प्यार बढ़ाने वाले नौजवानों के लिए सबक है। फेसबुक, इंस्टाग्राम पर जैसा कोई दिख रहा है, जरूरी नहीं कि आचार, विचार और व्यवहार से भी वह ऐसा ही हो। इसलिए सावधानी और सतर्कता जरूरी है।