बड़ी खबर अल्मोड़ा संसदीय सीट पर आखिरी दो आम चुनाव के परिणाम एकतरफा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं 2009 के आम चुनाव में भाजपा-कांग्रेस ने सात-सात विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई थी। तब जीत कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा के हाथ लगी थी। 2014 के चुनाव में मुकाबला 12-2 का हो गया। बाजी भाजपा के अजय टम्टा के हाथ लगी।
और 2019 तक आते-आते मुकाबला लगभग एक तरफ हो गया। भाजपा ने संसदीय क्षेत्र की सभी 14 विधानसभा क्षेत्रों पर बढ़त बना कांग्रेस की जमीन खिसका दी। इस बार कांग्रेस पर साख बचाने के साथ पुराना वोट बैंक जुटाने का दोहरा दबाव है। अल्मोड़ा सीट पर आंकड़े कभी एक जैसी नहीं रहे हैं।
बता दें की अंतिम तीन आम चुनाव ही देखें तो एक बार कांग्रेस, आखिरी दो बार भाजपा जीती है। पार्टियों का वोट बैंक देखा जाए तो 2009 के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस की स्थिति लगभग समान थी। पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, रानीखेत, सोमेश्वर, अल्मोड़ा, जागेश्वर, चंपावत विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस आगे रही थी।सीट भले कांग्रेस के हाथ लगी, लेकिन दोनों दलों के वोट बैंक में नाममात्र का अंतर था। कुल मतदाताओं के आधार कांग्रेस ने 19 प्रतिशत वोट बटोरे, जबकि भाजपा को 18.3 प्रतिशत वोट मिले। वोट करने वाले मतदाताओं के आधार पर कांग्रेस के हिस्से 41.8 व भाजपा के 40.3 प्रतिशत वोट आए। तब कांग्रेस के प्रदीप सात हजार से भी कम अंतर से जीते थे।
तो वहीं वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के अजय टम्टा जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। इस चुनाव में भाजपा ने 12 विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाई, जबकि कांग्रेस धारचूला व जागेश्वर में आगे रही थी। तब भाजपा प्रत्याशी ने मतदान का 53 प्रतिशत व कांग्रेस ने 38.4 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। इस चुनाव में भाजपा ने 13 प्रतिशत वोट बढ़ाया तो कांग्रेस को चार प्रतिशत का नुकसान हुआ।
2019 का चुनाव आते-आते भाजपा व कांग्रेस के वोट बैंक के बीच अंतर खाई की तरह बढ़ गया। भाजपा के अजय टम्टा ने कुल मतदान का 65.5 प्रतिशत वोट प्राप्त कर रिकार्ड कायम किया। कांग्रेस प्रत्याशी अजय टम्टा 31.2 प्रतिशत वोट ही ला सके। आखिरी चुनाव ने कांग्रेस की जमीन खिसका दी, जबकि मोदी के चेहरे की बदौलत भाजपा ने वोटरों की नई जमीन तैयार की। इस चुनाव में धारचूला व जागेश्वर भी कांग्रेस के हाथ से चले गए।
चार जिलों की सभी 14 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा आगे रही थी। इस चुनाव में अजय टम्टा ने 4,44,651 व प्रदीप टम्टा ने 2,11,665 मत प्राप्त किए। प्रदीप 2,32,986 मतों से पीछे रह गए। अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन पाने के लिए कांग्रेस को इस बार ऐड़ी, चोटी का जोर लगाना होगा। प्रदीप के पास चुनावी हिसाब बराबर करने का भी मौका है।
चुनाव भाजपा कांग्रेस
2009 40.3 41.8
2014 53.0 38.4
2019 65.7 31.2
(स्रोत: भारत निर्वाचन आयोग)
जानकार बताते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस प्रत्याशी रहे प्रदीप टम्टा की संसदीय क्षेत्र में कम सक्रियता रही। वह यदा, कदा ही पिथौरागढ़ व चंपावत के दौरे पर आए। हालांकि जब दौरे पर आए तो पदाधिकारियों के साथ बात, मुलाकात जरूर की। सीमांत की सुरक्षा, आलवेदर रोड, टनकपुर-बागेश्वर रेललाइन, टनकपुर-जौलजीबी सड़क, महिला सुरक्षा आदि मुद्दों पर सांसद व सरकार से सवाल भी उठाया।