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अमर उजाला ज्योतिष महाकुंभ का आज दूसरा दिन है। सातवें अमर उजाला-ग्राफिक एरा ज्योतिष महाकुंभ में उद्घाटन समारोह के बाद जब तक ज्योतिषी अपने स्टॉल पर पहुंचे, तब तक जगह-जगह लंबी कतार लग गई। आज सीएम धामी समापन समारोह में पहुंचेंगे।

अमर उजाला ज्योतिष महाकुंभ के दूसरे दिन आज ग्राफिक एरा विवि में ज्योतिषीय विधाओं पर संवाद कार्यक्रम होगा। इस दौरान एक ओर जहां सभी ज्योतिषी मौजूद रहेंगे तो आम जनता को भी इसमें शामिल होने का मौका मिलेगा। महाकुंभ के अंतिम दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ज्योतिषियों को सम्मानित करेंगे।सातवें अमर उजाला-ग्राफिक एरा ज्योतिष महाकुंभ में ठंड के बावजूद सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। महाकुंभ के पहले दिन रविवार को आलम ये था कि उद्घाटन समारोह के बाद जब तक ज्योतिषी अपने स्टॉल पर पहुंचे, तब तक जगह-जगह लंबी कतार लग गई। बुजुर्ग हों या महिलाएं, सब अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित दिखे। वहीं युवा अपने भावी कॅरियर में उम्मीद की किरण तलाशते नजर आए।महाकुंभ को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिला। उद्घाटन के बाद ज्योतिषी अपने स्टॉल पर बैठे और निशुल्क लोगों को परामर्श दिया। इस दौरान युवाओं ने अपने मित्रों के साथ जमकर सेल्फी भी ली। साथ ही अपने व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम स्टोरी लगाने के साथ फेसबुक लाइव भी किया। ज्योतिष की विभिन्न विधाओं को लेकर उत्साहित महिला, पुरुषों के साथ युवाओं ने भी अपने भविष्य को लेकर सवाल पूछे। युवाओं ने करियर तो मां-बाप ने अपने बच्चों की शादी से लेकर संपत्ति सुख के सवाल किए।

महाकुंभ का शुभारंभ राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह ने किया था। इस दौरान उन्होंने सभी ज्योतिषियों को सलाह दी कि हर भारतीय को उसके गुण और स्किल्स बताएं। ताकि वह सकारात्मकता के साथ उस दिशा में काम कर सके। उन्होंने कहा कि हम इस विद्या से भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं। ज्योतिषी इसकी राह दिखा सकते हैं। उन्होंने कहा कि 500 साल बाद अयोध्या में भव्य-दिव्य राम मंदिर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने कोविड महामारी में भारत के नमस्ते को सीखा। अब देश को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।

राज्यपाल ने कहा कि 2024 अपने आप में अलग है। जब वह कुछ दिन पहले सोमनाथ मंदिर गए थे तो उन्हें ऐसा ज्ञान हुआ कि 1026 में मुगलों ने अत्याचार, लूट, बर्बरता दिखाई थी। वर्ष 2026 में 1000 साल पूरे होने वाले हैं। मंदिर का निर्माण, दिव्य रूप में फिर हो रहा है। यहां अयोध्या में 500 साल के बाद में इस दिव्यता, भव्यता का एक नया आगमन है।

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