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Uttarkashi Tunnel Rescue : श्रमिकों से महज पांच मीटर दूर रेस्क्यू टीम, जल्द मिल सकती है बड़ी सफलता।

दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार कोई न कोई बाधा आने से सफलता नहीं मिल रही। रेस्क्यू का आज 17वां दिन है।

16 दिन से उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के चौतरफा अभियान में दुश्वारियां और उम्मीदें भी साथ-साथ चल रही हैं। 16वें दिन सुरंग के ऊपर तो काम चलता रहा, लेकिन भीतर ब्लेड निकलने के बावजूद मशीन का हेड फंसने से मैन्युअल खोदाई का काम लटका रहा। देर शाम हेड निकलते ही रैट माइनर्स सेना की मदद से मैन्युअल खोदाई में जुट गई। अब तक एक मीटर पाइप आगे बढ़ाया जा चुका है। ऑगर मशीन के फेल होने के बाद हाथ से खोदाई कराने का फैसला किया गया है।

सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की मानसिक स्थिति जानने के लिए रेस्क्यू रोबोटिक्स सिस्टम की मदद ली जाएगी। सोमवार को लखनऊ से रेस्क्यू रोबोटिक्स वैज्ञानिक मिलिंद राज सिलक्यारा पहुंचे। उन्होंने बताया, इस तकनीक से 24 घंटे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी।वर्टिकल ड्रिलिंग 36 मीटर तक हो गई है। अभी 50 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग की जानी है। लेकिन, वर्टिकल ड्रिलिंग में लोहे के गार्टर को भेदना आसान नहीं होगा। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने भी इसे बड़ी चुनौती बताया है।बड़कोट साइड से छह ब्लास्ट से 12 मीटर की माइक्रो टनल तैयार हुई है। ब्लास्टिंग से कमजोर चट्टानों के गिरने का खतरा बना हुआ है। यहां शॉटक्रिटिंग कर चट्टान को थामा जा रहा है।

राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ में कहीं-कहीं हल्की और गर्जन के साथ बारिश होने की संभावना है। 3500 मीटर के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी होने की संभावना है।श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए छह सदस्यीय रैट माइनर्स की टीम भी पहुंची है। सोमवार शाम सात बजे सेना की मदद से टीम ने हाथ से खोदाई शुरू कर दी। अब तक एक मीटर पाइप आगे बढ़ाया जा चुका है।यहां से ड्रिफ्ट टनल बनाने का प्लान तैयार हो चुका है, जिस पर काम शुरू होने वाला है। अगर यह टनल बनती है तो इससे अपेक्षाकृत कम समय में मजदूरों तक पहुंच बन सकती है।सिलक्यारा छोर के ऊपर एसजेवीएन 1.2 मीटर व्यास की ड्रिल कर रहा है। खबर लिखे जाने तक 36 मीटर ड्रिल हो चुकी थी। अब 50 मीटर का सफर तय करता है, जिसमें करीब 100 घंटे का समय लग सकता है। लिहाजा, यहां 30 नवंबर तक कामयाबी मिल सकती है।

यहां टीएचडीसी सुरंग के भीतर माइक्रो टनल बना रहा है, जिसका अभी तक केवल 12 मीटर हिस्सा बना है, जबकि सुरंग के ऊपर ओएनजीसी 324 मीटर वर्टिकल ड्रिल करेगा, जिसकी मशीन पहुंचाने के लिए सड़क पूरी नहीं हो पाई है। अभी तक पांच में से केवल 1.2 किमी तक ही सड़क बन पाई है।

सुरंग के मुहाने पर सोमवार को पानी के रिसाव से एक आकृति बनी। स्थानीय लोगों ने इसे शिव की आकृति बताया। लोगों का कहना है कि सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की रक्षा करने के लिए स्वयं शिव आ गए हैं, अब उन्हें कुछ नहीं होगा।आज सुबह तक सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 40 मीटर तक हो गई है। वहीं सुरंग के अंदर मैन्युअल ड्रिलिंग भी पांच मीटर तक पूरी कर ली गई है। वर्टिकल ड्रिलिंग अभी 46 मीटर और शेष है। वहीं मैन्युअल ड्रिलिंग सात मीटर और होना बाकी है। कोई अड़चन नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन आज पूरा हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तरकाशी पहुंचे हुए हैं, जिनके आज सिलक्यारा पहुंचने की सूचना है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी फिर से रेस्क्यू का जायजा लेने पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी है। सीमेंट को अभी काटा जा रहा है। सुरंग में सब ठीक है, जल्द मजदूरों को निकाल लिया जाएगा। 52 मीटर अंदर जा चुके हैं, ज्यादा दिक्कत नहीं है। बड़ी बाधाएं दूर कर ली गई हैं।

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