रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के बम ला बॉर्डर से सीमा के उस पार मौजूद चीन की चौकियों का भी विश्लेषण किया। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर तवांग पहुंचे। तवांग में रक्षा मंत्री ने दशहरे के पावन अवसर पर शस्त्रों की पूजा की। इस दौरान रक्षा मंत्री ने तवांग के युद्ध स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही रक्षा मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के बम ला बॉर्डर से सीमा के उस पार मौजूद चीन की चौकियों का भी विश्लेषण किया। इस दौरान सैन्य अधिकारियों ने राजनाथ सिंह को सीमा पर मौजूदा हालात की भी जानकारी दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तवांग में 1962 युद्ध के नायक शहीद सूबेदार जोगिंदर सिंह के स्मारक पर भी पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
दशहरे के अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचकर रक्षा मंत्री का शस्त्र पूजा करने की काफी अहमियत है। बता दें कि भारत और चीन के बीच बीते काफी समय से सीमा पर विवाद चल रहा है और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने तैनात हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है, वहीं भारत द्वारा लगातार चीन के इस दावे को खारिज किया जाता है। खासकर तवांग पर चीन का ज्यादा फोकस है। चीन के विदेश मंत्री ने बीते साल भारत के साथ तवांग को लेकर बातचीत करने की पेशकश की थी लेकिन भारत की तरफ से चीन को दो टूक कह दिया गया था कि भारत तवांग पर किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा। दरअसल तवांग और यांगझी तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए बेहद अहम हैं। तवांग तिब्बत के छठे दलाई लामा का जन्मस्थान है। तवांग का बौद्ध मठ भी तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। यही वजह है कि चीन तवांग को अपने कब्जे में लेकर तिब्बत पर अपने प्रभाव को मजबूत करना चाहता है लेकिन जब तक तवांग भारत का हिस्सा है, तब तक चीन के बाहर तिब्बती बौद्ध धर्म का प्रभाव रहेगा और चीन की तिब्बत पर सांस्कृतिक तौर पर कब्जे की तमन्ना पूरी नहीं हो सकेगी।