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भाजपा के विरोध से दिल्ली मेंं आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनने लगा। विरोध और राजनीतिक नुकसान देखकर सरकार ने 28 जुलाई 2022 को नई शराब नीति वापस ले ली और पुरानी शराब नीति को दुबारा लागू कर दिया। इस मामले में सीबीआई में मामला दर्ज कराया गया। सीबीआई ने लेकिन विभिन्न आरोपों को लेकर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी।

अन्ना आंदोलन से निकली और नवंबर 2012 में गठित आम आदमी पार्टी ने बेहद कम समय में ही लोगों को आश्चर्यचकित करते हुए 10 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा हासिल कर लिया। इसके लिए अरविंद केजरीवाल के ‘राजनीतिक आदर्शों’ के साथ-साथ उनकी उन योजनाओं को श्रेय दिया जा सकता है जिसे उन्होंने लागू किया और जिनके बल पर पार्टी ने आम लोगों के दिलों में अपने लिए खास जगह बना ली, लेकिन इन योजनाओं की लोकप्रियता के बीच अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में एक ऐसी शराब नीति की घोषणा की, जिसके कारण आज न केवल उनके कई शीर्ष नेता जेल में बंद हैं, बल्कि माना जा रहा है कि इसकी आंच अरविंद केजरीवाल तक भी पहुंच सकती है। आम आदमी पार्टी पर यह खतरा कितना बड़ा है और क्या अरविंद केजरीवाल भी इस मामले में जेल जा सकते हैं, या आम आदमी पार्टी की मान्यता भी रद्द हो सकती है?

आम आदमी पार्टी सरकार ने 22 मार्च 2021 को दिल्ली के लिए नई शराब नीति की घोषणा की थी। 17 नवंबर 2021 को सिसोदिया ने नई शराब नीति लागू कर दिया। नई नीति में व्यवसायियों को भारी छूट देने के साथ-साथ गली-मोहल्लों में शराब की दुकानें खोलने, शराब की होम डिलीवरी कराने और मॉल में शराब की बिक्री देने की अनुमति शामिल थी। शराब पीने की उम्र घटाना, शराबबंदी के दिनों की संख्या घटाने से लेकर शराब कंपनियों को खुदरा बिक्री क्षेत्र में अनुमति देने सहित इस शराब नीति में कई ऐसे प्रावधान लागू किये गए जिनको लेकर विरोध शुरू हो गया। दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से दिल्ली का राजस्व बढ़ेगा। लेकिन आरोप लगाया जाता है कि कंपनियों को शराब का लाइसेंस देने में भारी घोटाला किया गया। शराब बिक्री पर व्यापारियों का कमीशन 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। भाजपा ने आरोप लगाया है कि इसमें से छः प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी को देना तय किया गया था। उसका आरोप यह भी है कि शराब नीति में भारी काली कमाई की गई जिसे पंजाब-गोवा के विधानसभा चुनावों में खर्च किया गया।

सबसे ज्यादा विरोध गली-मोहल्ले में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति देने को लेकर था। अब तक अरविंद केजरीवाल को राजनीतिक रूप से घेरने में असफल रही भाजपा को शराब घोटाले के रूप में बड़ा मौका मिला और उसने जमकर हमला बोला। माना जाता है कि भाजपा को इसका लाभ भी मिला और तीन बार नगर निगम में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने और घोर सत्ता विरोधी रुझान के बाद भी वह निगम चुनावों में सौ से ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही। अब भाजपा की दृष्टि लोकसभा चुनाव के साथ-साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है। भाजपा के विरोध से दिल्ली मेंं आम आदमी पार्टी के खिलाफ माहौल बनने लगा। विरोध और राजनीतिक नुकसान देखकर सरकार ने 28 जुलाई 2022 को नई शराब नीति वापस ले ली और पुरानी शराब नीति को दुबारा लागू कर दिया। इस मामले में सीबीआई में मामला दर्ज कराया गया। सीबीआई ने लेकिन विभिन्न आरोपों को लेकर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी। एजेंसी ने 14 जनवरी को मनीष सिसोदिया के दिल्ली सचिवालय स्थित कार्यालय में छापेमारी की। बाद में 26 फरवरी 2023 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने भी नौ मार्च को शराब घोटाले की लेनदेन की जांच को लेकर हिरासत में ले लिया। इसी मामले में संजय सिंह को 4 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार कर लिया गया।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू के करीबी ने मनीष सिसोदिया के एक करीबी अर्जुन पांडे को लगभग चार करोड़ रूपये घूस के तौर पर दिए जिससे शराब नीति में अपेक्षित बदलाव लाया जा सके। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह के एक करीबी पर एक अन्य शराब कारोबारी से घूस के तौर पर लगभग दो करोड़ रुपये लेने के आरोप हैं। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी दुबे ने अमर उजाला से कहा कि किसी राजनीतिक दल का गठन चुनाव आयोग की नियमावली के अंतर्गत किया जाता है। राजनीतिक दल पैसों की लेनदेन करने वाली कंपनी नहीं होती और इस पर पैसे लेने के आरोप नहीं लगाए जा सकते। लेकिन यदि पार्टी के पदाधिकारियों ने पार्टी को मिले पैसे का दुरुपयोग किया है, या अपने पद का दुरुपयोग करते हुए किसी व्यक्ति या कंपनी से पैसा लिया है तो यह कदाचार की श्रेणी में आता है और इसके लिए उन पर आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

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