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भारत के जाने-माने वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 28 सितंबर, 2023 को चेन्नई में निधन हो गया। वे 98 वर्ष के थे।

स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उन्होंने कृषि विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और फिर भारत सरकार में शामिल हो गए। उन्होंने भारत में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके प्रयासों के कारण भारत में खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और देश में कुपोषण की समस्या में कमी आई।

स्वामीनाथन को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2000 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था।

अमरीकी वैज्ञानिक के साथ किया था काम
कृषि विभाग में वैज्ञानिक रहे स्वामीनाथन ने 1972 से 1979 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था। भारत को अकाल से बचाने और खाद्यान सुरक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अमरीकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ 1960 के दशक में काम किया था।

कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से किया गया सम्मानित
एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनको पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण सम्मान मिल चुके हैं।

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