हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार के अनुसार, 31 मार्च 2023 तक राज्य पर कुल 76,630 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह आंकड़ा 2022-23 में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
राज्य के हर नागरिक पर 1 लाख 2 हजार 818 रुपये का कर्ज है। यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक है। हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा कर्ज वाले राज्यों की सूची में पांचवें स्थान पर है।
पूर्व सरकार पर कर्ज का आरोप
वर्तमान सरकार ने कर्ज के लिए पूर्व सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार का कहना है कि पूर्व सरकार ने राज्य पर 92,774 करोड़ रुपये की देनदारी छोड़ी है। इसमें से 10,600 करोड़ रुपये महंगाई भत्ते और संशोधित वेतनमान के हैं।
पूर्व सरकार ने चुनावी साल में 16,261 करोड़ रुपये की उधारी जुटाई थी। सरकार का कहना है कि इससे राज्य का वित्तीय संतुलन बिगड़ गया है।
बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्ज पर
राज्य सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्ज और इसका ब्याज चुकाने में लग रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कर्ज और ब्याज के लिए 9048 करोड़ रुपये का बजट है। इसमें से 3486 करोड़ रुपये कर्ज और 5262 करोड़ रुपये ब्याज के लिए है।
विपक्ष का हंगामा
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में कर्ज के आंकड़े पेश किए तो विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष का कहना है कि सरकार कर्ज बढ़ा रही है और इसकी जिम्मेदारी वर्तमान सरकार की है।
कर्ज के कारण क्या चुनौतियां हो सकती हैं?
हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के कारण कई चुनौतियां हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
- बजट घाटा: कर्ज के ब्याज का भुगतान करने के लिए सरकार को अधिक राजस्व जुटाना होगा। इससे बजट घाटा बढ़ सकता है।
- आर्थिक विकास का धीमा होना: कर्ज के बोझ के कारण सरकार के पास विकास के लिए कम संसाधन बचेंगे। इससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।
- सरकार की साख पर असर: बढ़ते कर्ज से सरकार की साख पर असर पड़ सकता है। इससे सरकार को भविष्य में उधारी लेने में मुश्किल हो सकती है।
कर्ज कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए सरकार को निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
- राजस्व बढ़ाना: सरकार को राजस्व बढ़ाने के लिए नए तरीके खोजने चाहिए। इसमें करों में वृद्धि, वित्तीय सेवाओं का विकास और पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।
- खर्चों में कटौती: सरकार को खर्चों में कटौती करनी चाहिए। इसमें वेतन बिल, अनुदान और पेंशन पर खर्च को कम करना शामिल हो सकता है।
- ऋण पुनर्गठन: सरकार ऋण को पुनर्गठित कर सकती है। इससे ब्याज का बोझ कम हो सकता है।
हिमाचल प्रदेश पर बढ़ते कर्ज एक गंभीर चिंता का विषय है। सरकार को इस समस्या को हल करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।