उत्तरकाशी के मातली गांव की कृषि भूमि का आईटीबीपी ने अपने कैम्प,ऑफिस व स्टाफ क्वाटर बनाने के लिए अधिग्रहण किया था, साथ में उनके बीच यह समझौता हुआ था कि उनके लिए मंदिर, स्कूल व घाट जाने का रास्ता बनाया जाएगा। जिसमें आईटीबीओई की कोई रोकटोक नहीं होगी। अब जब सारा कार्य पूर्ण हो गया तो आईटीबीपी ने पूरे क्षेत्र को चाहरदिवारी से बंद कर दिया।
नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी के मातली गांव में आईटीबीपी द्वारा ग्रामीणों का मंदिर, स्कूल व घाट जाने का रास्ता बंद किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार व केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2024 की तिथि नियत की है। मामले के अनुसार उत्तरकाशी के मातली गांव के रामलाल नोटियाल, परवीन नोटियाल, विनोद प्रकाश नोटियाल, वाचस्पति नोटियाल, व राम किशन नोटियाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके ग्राम की कृषि भूमि का आईटीबीपी ने अपने कैम्प ,ऑफिस व स्टाफ क्वाटर बनाने के लिए अधिग्रहण किया था साथ में उनके बीच यह समझौता हुआ था कि उनके लिए मंदिर, स्कूल व घाट जाने का रास्ता बनाया जाएगा। जिसमें आईटीबीओई की कोई रोकटोक नहीं होगी।
अब जब सारा कार्य पूर्ण हो गया तो आईटीबीपी ने पूरे क्षेत्र को चाहरदिवारी से बंद कर दिया। एक रास्ता उनके लिए स्कूल, मंदिर, घाट जाने के लिए पेट्रोल पंप के पास से बनाया गया। बाद में उसे भी बंद कर दिया। रास्ता बंद होने से ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आए दिन ग्रामीणों व उनके बच्चों की स्कूल जाते वक्त चैकिंग की जाती है। इसको लेकर ग्रामीणों के द्वारा एक वाद जिला न्यायालय उत्तरकाशी में दायर किया जहां आईटीबीपी ने कहा कि हम ग्रामीणों के लिए वही रास्ता खोल रहे है। उनके इस कथन पर वाद वापस लिया गया। वाद वापस लेने के तुरंत बाद रास्ता फिर से बंद कर दिया। जिसको लेकर ग्रामीणों के द्वारा उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर की। जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की है कि उनका रास्ता खोला जाय।