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वादे और दावे जब भी किए जाते हैं, तो हमेशा यही बात होती है की उत्तराखंड में तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन अगर हकीकत की बात की जाए तो यह कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।गांव-गांव तक सड़कें पहुँचाने के दावों के बीच कई गांव ऐसे हैं जहां मोटर मार्ग तो दूर की बात है ठीक से चलने तक के लिए पैदल मार्ग नहीं है। ऐसे गांवों में शुमार है लीती का डांगती तोक।


बता दें की यहां गांव के एक बीमार व्यक्ति को ग्रामीण डोली में लेकर अस्पताल जाते हैं। पुरुषों की संख्या कम होने पर महिलाओं ने बारी-बारी से डोली को कंधा दिया। इसके बाद मरीज को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका उपचार जारी है।

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दरअसल,डांगती से लीती गांव की पैदल दूरी सात किमी है। गांव में किसी के बीमार होने पर उसे डोली के सहारे सड़क तक लाना मजबूरी है। यहां से 108 की मदद से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। हालात ये है कि युवाओं के रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर जाने से गांव में पुरुषों की संख्या कम है। लिहाजा महिलाओं को डोली को कांधा देना पड़ता है।

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