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Wrestlers Protest- ओलंपिक में हासिल किए मेडल गंगा में बहाने वाले है खिलाड़ी, कहा ऐसा लग रहा है की जीते ही क्यों थे।

मेडल

खिलाड़ियों के उत्पीड़न के विरोध में आज पहलवान खिलाड़ी हरिद्वार में अपने जीते गए मैडम गंगा में प्रवाहित करेंगे। इसकी जानकारी खिलाड़ी बजरंग पुनिया ने एक टि्वटर अकाउंट के जरिए शेयर की है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सब ने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया हमें कितनी बर्बरता से गिरफ्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने नष्ट कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे उपर ही एफ आई आर दर्ज करा दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांग कर कोइ अपराध किया। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है जबकि उत्पीड़न खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतिया कस रहे हैं टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपने घर नाको में यहां तक की पोस्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस ही है कि बचा नहीं है हमें वह पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे।

ऐसा लग रहा है कि क्यों जीते थे क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करें हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपकली फ्री है तंत्र को पकड़ना उत्प्रेरक को चाहिए था लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने उन्हें तोड़ने और डराने में लगे हुए हैं अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इनमें दलों का कोई मतलब नहीं रह गया है इनको लौट आने की सोचने पर हमें मौत लग रही थी लेकिन अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना।

मां गंगा से पवित्र कुछ भी नहीं है इसलिए उन्हीं की गोद में प्रवाहित करेंगे मेडल

उन्होंने लिखा कि मन में यह सवाल आया कि कि से लौट आए यह मेडल हमारे राष्ट्रपति को जो खुद एक महिला है मैंने ना कहा क्योंकि वह हम से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर बैठी सिर्फ देखती रही है कुछ भी नहीं बोली, हमारे प्रधानमंत्री को जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे मन नहीं माना क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़न को बुलाया वह तेज सफेदी वाले चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी मानो कह रही हो कि मैं ही करती हूं।

चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां है भारत में बेटियों की जगह कहां है क्या हम केवल नारे बंद कर या सत्ता में आने भर का एक एजेंडा बनकर रह गई है यह मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर केवल अपना प्रचार करता है यह पेज सफेदी वाला तंत्र और फिर हमारा शोषण करता है हम शोषण के खिलाफ बोले तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है।

इनमें दलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं क्योंकि वह गंगा मां है जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतना ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इनमें दलों को जीता था यह मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र है और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है।

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