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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने डीएलएड (एनआईओएस) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया की काउंसिलिंग में शामिल करने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर आज एक साथ सुनवाई की। वहीं, इस मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की बेंच ने दो दिन मामले को लगातार सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया गया है ।

इससे पहले याचिकाकर्ताओं के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे। सहायक अध्यापक प्राथमिक में 2648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। ऐसे में उन्हें काउंसलिंग में शामिल किया जाए। वहीं, इस मामले की सुनवाई करते हुए आज कोर्ट की बेंच ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है ।2 वर्ष से न्याय की गुहार लगा रहे एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों को हाईकोर्ट ने आज दिनांक 14/7/22 काउंसलिंग में शामिल करने वाले पूर्व निर्णय को सुरक्षित रखा है केंद्र सरकार द्वारा करवाया गया यह कोर्स उत्तराखंड राज्य सरकार अभ्यर्थियों के पक्ष में नहीं है ।

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जानकारी के मुताबिक, नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। इस याचिका में कहा गया कि उन्होंने 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन मंत्रालय भारत सरकार एवं एनसीटीई द्वारा मान्यता दी गई है। 6 जनवरी 2021 एनसीटीई व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में शामिल करने को कहा था, परन्तु सरकार ने 10 फरवरी को 2021 को यह कहते हुए उन्हें काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पस्ट गाइड लाइन नहीं है।

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