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आज दोपहर को ध्वस्त होनी है उत्तरप्रदेश की ये गगनचुम्बी इमारतें , जाने क्या है इनको ध्वस्त करने का कारण

twin tower

आज दोपहर नोएडा के सेक्टर 93-A में स्थित ट्विन टावर को ध्वस्त किया जाएगा। जी हां देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब इतनी ऊंची बिल्डिंग को जमीदोज़ किया जाएगा। बता दें कि नियमों को ताक पर रखकर इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण किया गया था। इस बिल्डिंग को बनाने वाले सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के बायर्स ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी। इसके बाद कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया था।

23 नवंबर 2004 को किया गया था ट्विन टावर के लिए जमीन का आवंटन
आपको बता दें कि ट्विन टॉवर्स में कई लोगों द्वारा फ्लैट बुक करवाए गए थे लेकिन अभी तक कुछ लोगों को उनका रिफंड वापस नहीं मिला है। ट्विन टावर को ध्वस्त करने की प्रक्रिया में घरों को होने वाले नुकसान से लेकर विस्फोटक से उड़ने वाली धूल तक, हर चीज यहां के रहने वाले लोगों के लिए खौफनाक साबित होने वाली है। भ्रष्टाचार की इस इमारत के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को किया गया था जिसके बाद प्रोजेक्ट को नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की थी। 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढी या घटी हुई निकल आती थी।

22 मंजिल के 16टावर बनाने का था प्लान
बता दें कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्ग मीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया जिसकी आते ही लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई लेकिन यह दो प्लॉट 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बन गया। इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया। इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 22 मंजिल के 16 टावर्स बनाने का प्लान था।

कब और कैसे हुई विवाद की शुरुआत
आपको बता दें कि इस मामले में विवाद की शुरुआत 28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन के नए आवंटन के लिए AFR बढ़ाने के निर्णय के बाद हुई। इसके साथ ही पुराने आवंटियों को कुल एएफआर का 33% तक खरीदने का विकल्प दिया गया इसके साथ ही पुराने मंत्रियों को कुल AFR का 33% तक खरीदने का विकल्प दिया गया। एएफआर बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर ज्यादा फ्लैट्स बना सकते थे। इससे सुपरटेक बिल्डर को बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 बढ़ाने की अनुमति मिल गई।
यहां तक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के बायर्स ने किसी तरह का विरोध नहीं किया लेकिन जब फिर से रिवाइजड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और 39 मंजिला करने के साथ ही 121 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिली तो बायर्स ने विरोध करना शुरू कर दिया क्योंकि नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला अपैक्स और सियाने खड़े हैं वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था।
RWA ने बिल्डर से बात कर नक्शा दिखाने की मांग की लेकिन बायर्स के मांगने के बावजूद बिल्डर ने लोगों को नक्शा नहीं दिखाया। अपैक्स और सियाने को गिराने की इस लंबी लड़ाई में शामिल रहे प्रोजेक्ट के निवासी यूबीएस तेबतिया का कहना है कि नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर के साथ मिलीभगत करके twin-towers को बनाने की मंजूरी दी थी।जब खरीदारों को कहीं से भी मदद नहीं मिली तो उन्होंने साल 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने पुलिस को जांच के आदेश दिए जांच में पुलिस ने वायरस के आरोप को सही पाया। वही तेवतिया ने यह भी बताया कि जांच रिपोर्ट को दबाने की भी कोशिश की गई थी। 2012 में मामला जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा तो अपैक्स और सियाने की महज 13 मंजिले बनी थी लेकिन डेढ़ साल के अंदर ही सुपरटेक ने 32 फ्लोर का निर्माण पूरा कर दिया।
दूसरी तरफ कोर्ट में मामला चलता रहा और 2014 में हाईकोर्ट ने इसे गिराने का आदेश दे दिया था तब जाकर 32 मंजिल पर ही काम रुक गया। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपर टेक सुप्रीम कोर्ट गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिली और सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी कर इसे 3 माह के भीतर गिराने को कहा। इसके बाद तारीख को आगे बढ़ाकर 28 अगस्त 2022 कर दिया गया था इसके बाद तारीख को आगे बढ़ा कर 28 अगस्त 2022 कर दिया गया था।

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711 ग्राहकों ने करवाए थे फ्लैट बुक
बता दे कि ट्विन टावर में 711 ग्राहकों ने फ्लैट बुक करवाए थे इनमें से सुपरटेक ने 652 ग्राहकों का सेटलमेंट कर दिया है। बुकिंग अमाउंट और ब्याज मिलाकर रिफंड का विकल्प आजमाया गया है मार्केटिंग या बुकिंग वैल्यू प्लस इंटरेस्ट की कीमत के बराबर प्रॉपर्टी दी गई है। वहीं ट्विन टावर के 59 ग्राहकों को अभी तक रिफंड नहीं मिला है रिफंड की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 थी। कुल 950 फ्लैट के इन दो टावर्स को बनाने में ही सुपर टेक ने 200 से 300 करोड रुपए खर्च किए थे गिराने का आदेश जारी होने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी।
वही नोएडा विकास प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर इस बिल्डिंग का निर्माण हुआ था। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डेढ़ दशक तक इस पूराने मामले की जांच कराई।इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के नेतृत्व में 4 सदस्यों की समिति बनाई गई थी।

मामले में शामिल सभी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई शुरू
बता दे की जांच की रिपोर्ट के आधार पर अवैध तरीके से बिल्डिंग के निर्माण के मिलीभगत में शामिल 26 अधिकारियों और कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और उनके आर्किटेक्ट के खिलाफ कार्रवाई की गई। इस मामले में संलिप्त ऐसे 4 अधिकारी जो अलग-अलग अथॉरिटी में अपनी सेवाएं दे रहे थे उन्हें निलंबित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई है।

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