नई दिल्ली स्थित राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के आवास पर इगास-बग्वाल पर्व उत्साहपूर्वक मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगगुरु बाबा रामदेव, परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती और कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों ने इस अवसर पर उपस्थित होकर उत्तराखंड की प्राचीन संस्कृति का सम्मान किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर गाय की पूजा की और पवित्र अग्नि प्रज्वलित कर पर्व की शुरुआत की।
उत्तराखंड के लोकपर्व को पुनर्जीवित करने के प्रयास की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने अनिल बलूनी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्राचीन संस्कृति और पर्वों को पुनर्जीवित करने की उनकी मुहिम अनुकरणीय है। करीब पांच सालों के सतत प्रयासों के बाद, अब इगास न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश और विदेशों में भी उत्साह से मनाया जा रहा है। बलूनी ने राज्य में इस अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया और इसे स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया।
इगास पर्व: प्राचीन मान्यताओं और परंपराओं का प्रतीक
बलूनी के अनुसार, इगास पर्व के संदर्भ में कई मान्यताएँ प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, भगवान राम के लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की खबर गढ़वाल क्षेत्र में कुछ दिनों बाद पहुंची थी, और इस खुशी में यहाँ के लोगों ने इसे कार्तिक शुक्ल एकादशी को मनाया, जिसे बाद में इगास या बूढ़ी दिवाली कहा जाने लगा। एक अन्य मान्यता यह है कि तिब्बत के युद्ध से विजय प्राप्त कर गढ़वाल की सेना दीपावली के 11 दिन बाद वापस आई, जिसके उपलक्ष्य में इस पर्व को मनाया गया।
सोशल मीडिया पर इगास पर्व की बधाई
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर इगास पर्व के अवसर पर तस्वीरें साझा कीं और देशवासियों को पर्व की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! मेरी कामना है कि यह पर्व सभी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इगास पर्व का पुनर्जीवन हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने और विकास के साथ विरासत को जोड़ने का प्रतीक है।